घटना 2011 की है । 1 आश्रम में जाना हुआ था । वहाँ कुछ सन्यासी साधना करने आए थे । 1 दिन का शिविर था गुरु पूर्णिमा के अवसर पर । मैं तो ठहरा नास्तिक । सो मैं तो ध्यान करता नहीं । बस पेड़ो के साथ वक़्त बिताने चला गया था । उनसे मेरी अच्छी निभ जाती है । कम से कम वो मुझे समझते तो हैं ? वहाँ पर आए कुछ साधकों को मेरे ध्यान न करने पर ऐतराज हुआ कि मैं ध्यान नहीं करता । घूमता रहता हूँ । और भी कई आरोप । वो सभी सन्यासी बूढ़े थे । जो मुझे ध्यान करने के लिए कहते थे । मैं उनसे कहता - मुझे प्रेम आनंदित करता है । प्रेम ही ध्यान है मेरा । लेकिन वो उपदेश देने से बाज नहीं आए । बोले - ये प्रेम की बात सब वासना के किस्से हैं । ध्यान से जुडो । अपनी काम ऊर्जा को परमात्मा मे लगाओ । मैंने उनसे कुछ नहीं कहा । बस देख रहा था कि उनकी काम ऊर्जा पड़ोस में ध्यान करती हुई सन्यासी माँ में लगी हुई थी । शायद वो उसी को परमात्मा कहते होंगे ? मैं ठहरा नादान । उनकी ज्ञान की बाते नहीं समझ पाया । लेकिन शाम होते होते मेरे अंदर का बच्चा जाग गया । मुझे लगा इन सन्यासियों की परीक्षा लूँ । फिर क्या था । मैंने शिविर मे सूचना फैला दी कि मैं अपने लैपटाप पर कुछ अश्लील मूवी लाया हूँ । आज रात जो सन्यासी मित्र चाहें । मेरे कमरे में आ सकते हैं । मैं उन्हें वो दिखाऊँगा । संध्या सत्संग खतम होते ही सन्यासियों ने मेरे कमरे मे आने की इच्छा जता दी । और रात मे लगभग 10 सन्यासी ( बूढ़े सन्यासी ) जिनकी ऊर्जा परमात्मा मे लीन थी । मेरे कमरे मे परीक्षा के लिए हाजिर थे । वो सब जिज्ञासुओं की तरह मेरे पिटारा खोलने के इंतज़ार में थे । उनकी बढ़ती जिज्ञासा को देखकर मैंने कहा कि - आज छोड़ते हैं । कही ऐसा न हो कि शिविर कि गरिमा को ठेस पहुंचे । और ये सब ठीक नहीं । आप लोगों के भटकने का भी डर है । इसलिए मैं आप सबसे माफी मांगता हूँ । जो कहा । उसे भूल जायें । लेकिन मेरे ये कहने कि बाद भी वहाँ पर मौजूद उन देवताओं ने मुझे भरपूर मनाने की कोशिश की । और कहा कि - अब तो वो मेनका और उर्वशी का नृत्य blue film देखे बिना नहीं जाएँगे । और उनकी साधना को कोई नुकसान नहीं है । वो ये सब बेकार की चीज मानते हैं । उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । मैं भी सीधा साधा सा सन्यासी उन सबके आगे हार गया । अब वक़्त था उस रहस्यमयी जगत मे प्रवेश का । जिसके आकर्षण में सारा धर्म जगत भटक रहा है ? कुछ इसके विरोध के कारण । और कुछ इसके रोमांच के कारण । किसी को सेक्स नहीं मिला । तो उसने अंगूर खट्टे हैं की तर्ज पर इसे परमात्मा मे लगाने की बात कही । और किसी ने इसलिए साधक होना चाहा कि उन्हे कुछ ऐसी शक्तियाँ मिल जाएगी कि वो ये खूब जी सकेंगे । खैर ये तो आप सब भी जानते हैं । फिर महफिल जम गयी । वो मूवी उन सबकी आंखों की रोशनी बढ़ा रही थी । जिनमें ध्यान में डूबने के बाद भी कोई चमक नहीं थी । जो साधक रात मे ध्यान के लिए कभी नहीं जागे होंगे । वो उस रात को सोये नहीं । मेरे बारबार ये कहने पर कि सो जाईए । सुबह ध्यान में भी जाना है आप सबको । वो - बस स्वामी जी थोड़ी देर और । या थोड़ा कुछ और लगा दीजिये । कहकर रात भर sex ध्यान में डुबकी लगाते रहे । और सुबह 5 बजे तक किसी की आंखो में नींद नहीं थी । और न ही कोई ध्यान में जाने को उत्सुक । बस यही चर्चा कि कही कुछ भूल हो रही है । उस दिन दिन में सभी लोगो से मैं चर्चा करता रहा कि कल तक आप मुझे टोक रहे थे । लेकिन आप सब ये बताइये कि क्या आपने अपनी ऊर्जा को वहाँ पर पहुंचा लिया है । जिसकी आप बात करते हो ? मुझे 1 भी सन्यासी ऐसा नहीं मिला । जो ऐसा कह सके । और कुछ लोग जो ऐसा मानते हो कि उन्होने ऐसा कर लिया है कि वो काम ऊर्जा को ऊपर की ओर प्रवाहित कर पाये हों । वो वो ही होंगे । जिन्हें सेक्स उपलब्ध नहीं हुआ होगा । डर के कारण अपनी वासना को दवाकर बैठे हैं । फिर भी कोई हो । जिसे ऐसा महसूस होता हो कि - वो सही है । वो मुझसे 10 000 की शर्त लगा सकता है । ये 10 000 रुपए उनकी परीक्षा के काम आएंगे । 1 मेनका के साथ उनकी परीक्षा के । मैं चाहता हूँ संभोग से समाधि पर चर्चा अभी खतम नहीं हुई है । अभी इसी को सही से समझ लेने की ज़रूरत है । वरना हो ये रहा है कि सभी सन्यासी '' समाधि से संभोग की ओर '' यात्रा कर रहे हैं । मैं चाहता हूँ कि ये ढोंग बंद होना चाहिए । इससे तो ज्यादा वो लोग ईमानदार हैं । जो अपने काम को जीते हैं । और सबको कह भी देते हैं । काम इस जगत का सबसे बड़ा दान है मनुष्य को । बस गड़बड़ ये हुई है कि लोगों ने इसे इतना निंदित बना दिया कि इसे पाने के लिए समाज की इजाजत लेनी पड़ती है । जिसे शादी कहते हैं । और फिर उसी से संसार निर्मित होता है । और जिस चीज से संसार निर्मित होता हो । वो धर्म मे बाधा ? बस इसलिए सेक्स भी बाधा हो जाता है । जिन लोगों ने भी प्रेम को सही अर्थो मे जिया होगा । उन्होंने महसूस किया होगा कि यदि कोई बंधन न हो । और आप सहजता से प्रेम को जी सकें । तो आपका काम शांत होने लगता है । फिर आप काम के लिए प्रेम नहीं करते । बल्कि काम 1 अभिव्यक्ति हो जाता है प्रेम की । और तब काम शुद्ध है । उसमें घर्षण नहीं ? वो भगवान शंकर का काम है । जो सबसे बड़े साधक हैं इस जगत के । शशांक आनंद
https://www.facebook.com/pavitrameditationdelhi/photos/a.381953495192948.85507.381532885235009/623993500988945/?type=1&theater
Pavitra meditation delhi का ये प्रयास है कि किसी भी साधक की साधना में आने वाले सभी प्रश्नों के पार ले जाकर उसको साधना के वास्तविक आयामों से परिचित करवाना । हर साधक जानता है कि ध्यानी को सबसे ज्यादा सेक्स के विचार परेशान करते हैं । अक्सर इस विषय पर बात करते ही लोग कहते हैं कि वो ध्यानी ही नहीं । जिसे सेक्स के विचार परेशान करें । लेकिन मैं कहता हूँ कि साधक पहले इन्हीं विचारों में ही फंसता है । लेकिन जो सच्चे ढंग से इनका सामना करता है । और अपने को किसी भी पर्दो मे ढकता नहीं । वो 1 दिन इस तरह के सभी प्रश्नों के पार जाता है । इन्हीं बातो को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए Spiritual Kama Sutra का विषय लेकर आए हैं । इससे हमारा विचार आपको सेक्स में उलझाना नहीं है । बल्कि आपको इस विषय के प्रति सहज और सजग बनाना है । इसके लिए आपको इन video को अवश्य देखना चाहिए ।
1 कामसूत्र क्या है ?
http://splashurl.com/lnghshq
2 कई स्त्रियां ज्यादा पुरुषों की तरफ आकर्षित होती हैं क्यों ?
http://splashurl.com/m333kxy
3 धर्म में सेक्स का विरोध क्यों ? और क्या सेक्स से पार जाने के लिए सेक्स में उतरना ज़रूरी है ?
http://splashurl.com/k2hqxqp
4 सेक्स मे poschar आपके विचारों पर किस तरह के प्रभाव डालते हैं ?
http://splashurl.com/kp25zug
5 क्या साधक के साधनाकाल में ऐसा वक़्त आ सकता है । जब उसके पास सेक्स का विचार भी न रहें ?
http://splashurl.com/kjnauwe
ध्यान ( योगनिद्रा ) प्रेम कामसूत्र या किसी भी विषय पर अपने प्रश्न हमें भेजें । हम जल्द ही उसके जवाब समाधान के साथ आप तक पहुंचाएंगे
हमारे इस वीडियो चैनल से जुड़े रहने पर निश्चित ही आपको कई रहस्य उजागर होंगे ।
https://www.facebook.com/pavitrameditationdelhi/photos/a.381953495192948.85507.381532885235009/592947830760179/?type=1&theater
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