हम वही हैं । जो हमारी इच्छा थी । हम वही होंगे । जो हमारी इच्छा है । हमें वही मिला है । जो हमने चाहा था । हमें वही मिलेगा । जो हम चाह रहे हैं । अपने अस्तित्व के केंद्र में हम सब 1 हैं । और ब्रह्माण्ड प्रभु है । अस्तित्व में वह स्वतः ही घटने लगता है । जो ह्रदय के गहन तल पर हमारी इच्छा होती है । जब हम अतीत में देखे गए अपने स्वप्नों का स्मरण करते हैं । तो हम समझ जाते हैं कि हमारे स्वप्न ही फलीभूत होकर हमे मिले हैं ।
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बिखरे बाल ज़र्द आँखें कौन हो तुम ?
आज अपने ही अक्स से सवाल पूछ बैठे हम ।
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गुजरी हुई जिंदगी को । कभी याद न कर ।
तकदीर मे जो लिखा है । उसकी फरियाद न कर ।
जो होगा वो होकर रहेगा ।
तू कल की फिकर में । अपनी आज की हंसी बर्बाद न कर ।
हंस मरते हुये भी गाता है । और, मोर नाचते हुये भी रोता है ।
ये जिंदगी का फंडा है प्यारे ।
दुखों वाली रात नींद नही आती । और, खुशी वाली रात कौन सोता है ?
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स्वर्ग सुखों से ऊब कर उर्वशी बोली इंद्र से -
मुझे जीना है जाकर धरती पर ।
दुख ढेर से गिना के इंद्र ने डराया जरा ।
तो बोली उर्वशी - वहां सुख के संग दुःख है । कभी छाँव है कभी धूप है । रात के साथ दिन है । जिंदगी है और मौत भी है ।
हर पाने में खोने का डर है ज़मीं पर ।
इसलिए सच्चे साथी का भी 1 सपना है । मुझे वो ही स्वाद चखना है । जो अमरता नहीं दे सकती । वो नश्वर संसार मुझे देखना है ।
अगर वहां से लौटी तो देवों के लिए भी लेती आऊँगी ।
अंजुरी में थोडा सा प्रेम ।
वापस आउंगी तभी जब मांगने लगेगा कोई ।
मेरे होने का सबूत । प्रेम का प्रमाण ।
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दिल में कुछ और जुबां पे कुछ और बात करता हैं ।
खंजर हाथ में लिए हुए मोहब्बत की बात करता हैं ।
सुना है मैंने प्यार दोस्ती वफ़ा सब अमीरो की ज़ागीर है ।
मै खाली जेबें टटोलता हूँ वो बिछड़ने की बात करता है ।
लाज़मी हैं उसका मुझसे यूँ खफ़ा होना भी ।
मैं शिद्द्त से उसे चाहता हूँ वो बनावट की बात करता है ।
उन्हें शिक़ायत है मेरे गुफ्तगू के तरीको से ।
मुझे ख़ामोशी हैं पसंद वो अल्फ़ाजों से बात करता हैं ।
हुनरमन्द हैं वो जो हैं खुद को बदलने की फिक्र में "रजनीश"
नादान हैं वो जो ज़माने को बदलने की बात करता है ।
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ये मेरी कैसी तृष्णा है ? जो हमेशा ही दुष्पूर है ।
हज़ारों वर्षों से चलता हूँ । फिर भी मंज़िल अभी दूर है ।
ज़िन्दगी को जीने कि इतनी जिद है आज हमें ।
कि लगता है अब हमको मर जाना भी मंजूर है ।
कभी भटकना कभी ठहरना कभी चलते जाना है ।
शायद यही ज़िन्दगी है और यही इसका दस्तूर है ।
मंज़िलों कि परवाह हमने की ही कब है दोस्त ।
हम तो बस यूं ही जीते है क्योंकि हमें जीने का सुरूर है ।
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दुःख तो ऐसे सिरहाने बैठे हैं । जैसे मेरे मुरीद हों सारे ।
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माननीय श्री राजनाथ सिंह जी ! राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ।
महानुभाव ! श्रीमान राजनाथ सिंह जी से मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि अब बस कीजिए । अब हद हो रही है । आप लोगों ने पहले राम मंदिर के नाम से पूरे देश भर से चंदा लिया लगभग 3 अरब 7 करोड की ईंटें । मंदिर के नाम से जुटाई गई । अब " सरदार पटेल " के नाम से लोहा लिया जा रहा है । नोट फार वोट के नाम से अनगिनत पैसा जुटाया जा रहा है । आखिर आपकी मंशा क्या है ? 1 तो आप लोगों ने " असंवैधानिक " तरीके से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को घोषित कर 198 रैलियों में 31 हजार 500 करोड़ खर्च कर दिए ( रैली, मीडिया, सोशल मीडिया, सेलेब्रिटी आदि ) सलमान खान को पतंग उड़ाने के लिए 500 करोड़ दिए । और अब मेघना नायडू को 7 करोड देकर निम्न स्तर का पार्टी प्रचार करवा रहे हैं । अब कहाँ गए वो भगवा ब्रिगेड । जो वात्सल्य रस का पान कर वैलेंटाइन डे का विरोध करते थे ? अंततः मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ कि कब तक हम भोले भाले भारतीयों को मूर्ख बनाते रहेंगें ? और कब तक आप लोग अपना " चाल " " चरित्र " " चेहरा " बदलते रहेगें ? Kalpana Singh
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1 नेताजी की दोस्ती 1 फिल्म अभिनेत्री से हो गई । कुछ महीनों के बाद नेताजी को लगने लगा कि उन्हें अभिनेत्री से प्यार हो गया है । उन्होंने मन ही मन तय किया कि - वे उससे शादी करेंगे । पर चूंकि लड़की फिल्मों में काम करती थी । और उसका मिलना जुलना काफी लोगों से था । अतः नेताजी ने सोचा कि शादी का प्रस्ताव रखने के पहले उसके चरित्र, परिवार आदि के बारे में जानकारी कर लेना बेहतर होगा ।
उन्होंने अपने सेक्रेटरी से लड़की के पीछे 1 प्राइवेट जासूस लगाने को कहा । साथ ही हिदायत दी कि जासूस को यह पता नहीं चलना चाहिए कि वह यह काम मेरे लिए कर रहा है । लगभग 2 महीनों की छानबीन के बाद जासूस की रिपोर्ट सेक्रेटरी के माध्यम से नेताजी को मिली । जो कुछ इस तरह से थी - लड़की का चरित्र एकदम बेदाग़ है । आज तक उसका किसी के साथ कोई अफेयर नहीं रहा है । लड़की का परिवार, उसके रिश्तेदार और दोस्त सभी बड़े ही भले एवं संभ्रात लोग हैं । परन्तु हाँ - ऐसी जानकारी मिली है कि पिछले कुछ महीनों से यह लड़की अक्सर 1 निहायत ही चरित्रहीन एवं घटिया किस्म के नेता के साथ देखी जा रही है ।
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बिखरे बाल ज़र्द आँखें कौन हो तुम ?
आज अपने ही अक्स से सवाल पूछ बैठे हम ।
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गुजरी हुई जिंदगी को । कभी याद न कर ।
तकदीर मे जो लिखा है । उसकी फरियाद न कर ।
जो होगा वो होकर रहेगा ।
तू कल की फिकर में । अपनी आज की हंसी बर्बाद न कर ।
हंस मरते हुये भी गाता है । और, मोर नाचते हुये भी रोता है ।
ये जिंदगी का फंडा है प्यारे ।
दुखों वाली रात नींद नही आती । और, खुशी वाली रात कौन सोता है ?
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स्वर्ग सुखों से ऊब कर उर्वशी बोली इंद्र से -
मुझे जीना है जाकर धरती पर ।
दुख ढेर से गिना के इंद्र ने डराया जरा ।
तो बोली उर्वशी - वहां सुख के संग दुःख है । कभी छाँव है कभी धूप है । रात के साथ दिन है । जिंदगी है और मौत भी है ।
हर पाने में खोने का डर है ज़मीं पर ।
इसलिए सच्चे साथी का भी 1 सपना है । मुझे वो ही स्वाद चखना है । जो अमरता नहीं दे सकती । वो नश्वर संसार मुझे देखना है ।
अगर वहां से लौटी तो देवों के लिए भी लेती आऊँगी ।
अंजुरी में थोडा सा प्रेम ।
वापस आउंगी तभी जब मांगने लगेगा कोई ।
मेरे होने का सबूत । प्रेम का प्रमाण ।
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दिल में कुछ और जुबां पे कुछ और बात करता हैं ।
खंजर हाथ में लिए हुए मोहब्बत की बात करता हैं ।
सुना है मैंने प्यार दोस्ती वफ़ा सब अमीरो की ज़ागीर है ।
मै खाली जेबें टटोलता हूँ वो बिछड़ने की बात करता है ।
लाज़मी हैं उसका मुझसे यूँ खफ़ा होना भी ।
मैं शिद्द्त से उसे चाहता हूँ वो बनावट की बात करता है ।
उन्हें शिक़ायत है मेरे गुफ्तगू के तरीको से ।
मुझे ख़ामोशी हैं पसंद वो अल्फ़ाजों से बात करता हैं ।
हुनरमन्द हैं वो जो हैं खुद को बदलने की फिक्र में "रजनीश"
नादान हैं वो जो ज़माने को बदलने की बात करता है ।
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ये मेरी कैसी तृष्णा है ? जो हमेशा ही दुष्पूर है ।
हज़ारों वर्षों से चलता हूँ । फिर भी मंज़िल अभी दूर है ।
ज़िन्दगी को जीने कि इतनी जिद है आज हमें ।
कि लगता है अब हमको मर जाना भी मंजूर है ।
कभी भटकना कभी ठहरना कभी चलते जाना है ।
शायद यही ज़िन्दगी है और यही इसका दस्तूर है ।
मंज़िलों कि परवाह हमने की ही कब है दोस्त ।
हम तो बस यूं ही जीते है क्योंकि हमें जीने का सुरूर है ।
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दुःख तो ऐसे सिरहाने बैठे हैं । जैसे मेरे मुरीद हों सारे ।
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माननीय श्री राजनाथ सिंह जी ! राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी ।
महानुभाव ! श्रीमान राजनाथ सिंह जी से मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि अब बस कीजिए । अब हद हो रही है । आप लोगों ने पहले राम मंदिर के नाम से पूरे देश भर से चंदा लिया लगभग 3 अरब 7 करोड की ईंटें । मंदिर के नाम से जुटाई गई । अब " सरदार पटेल " के नाम से लोहा लिया जा रहा है । नोट फार वोट के नाम से अनगिनत पैसा जुटाया जा रहा है । आखिर आपकी मंशा क्या है ? 1 तो आप लोगों ने " असंवैधानिक " तरीके से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को घोषित कर 198 रैलियों में 31 हजार 500 करोड़ खर्च कर दिए ( रैली, मीडिया, सोशल मीडिया, सेलेब्रिटी आदि ) सलमान खान को पतंग उड़ाने के लिए 500 करोड़ दिए । और अब मेघना नायडू को 7 करोड देकर निम्न स्तर का पार्टी प्रचार करवा रहे हैं । अब कहाँ गए वो भगवा ब्रिगेड । जो वात्सल्य रस का पान कर वैलेंटाइन डे का विरोध करते थे ? अंततः मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ कि कब तक हम भोले भाले भारतीयों को मूर्ख बनाते रहेंगें ? और कब तक आप लोग अपना " चाल " " चरित्र " " चेहरा " बदलते रहेगें ? Kalpana Singh
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1 नेताजी की दोस्ती 1 फिल्म अभिनेत्री से हो गई । कुछ महीनों के बाद नेताजी को लगने लगा कि उन्हें अभिनेत्री से प्यार हो गया है । उन्होंने मन ही मन तय किया कि - वे उससे शादी करेंगे । पर चूंकि लड़की फिल्मों में काम करती थी । और उसका मिलना जुलना काफी लोगों से था । अतः नेताजी ने सोचा कि शादी का प्रस्ताव रखने के पहले उसके चरित्र, परिवार आदि के बारे में जानकारी कर लेना बेहतर होगा ।
उन्होंने अपने सेक्रेटरी से लड़की के पीछे 1 प्राइवेट जासूस लगाने को कहा । साथ ही हिदायत दी कि जासूस को यह पता नहीं चलना चाहिए कि वह यह काम मेरे लिए कर रहा है । लगभग 2 महीनों की छानबीन के बाद जासूस की रिपोर्ट सेक्रेटरी के माध्यम से नेताजी को मिली । जो कुछ इस तरह से थी - लड़की का चरित्र एकदम बेदाग़ है । आज तक उसका किसी के साथ कोई अफेयर नहीं रहा है । लड़की का परिवार, उसके रिश्तेदार और दोस्त सभी बड़े ही भले एवं संभ्रात लोग हैं । परन्तु हाँ - ऐसी जानकारी मिली है कि पिछले कुछ महीनों से यह लड़की अक्सर 1 निहायत ही चरित्रहीन एवं घटिया किस्म के नेता के साथ देखी जा रही है ।