अभी श्री भाव मिश्र जी द्वारा प्रणीत ‘भाव प्रकाश’ को मैंने प्रथमदृष्टया ही देखा है । पर तब भी आयुर्वेद की अमूल्य निधि ये ग्रन्थ मुझे बेजोङ ही लगा । इंटरनेट पर सर्च करने पर भी इसके बारे में कोई अधिक जानकारी नहीं मिली । सिवाय इसके -
‘भावप्रकाश आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ है । इसके रचयिता आचार्य भाव मिश्र थे । भावप्रकाश में आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयुक्त वनस्पतियों एवं जड़ी बूटियों का वर्णन है । भावप्रकाश, माधवनिदान तथा शार्ङ्गधर संहिता को संयुक्त रूप से 'लघुत्रयी' कहा जाता है ।’
इसके अलावा एक लिंक मिला । जहाँ इसके 100 से ऊपर पी डी एफ़ पेज तथा हिन्दी अनुवाद सहित किताब मिलने का पता है । यह ग्रन्थ लगभग 1150 रूपये और कुछ डाक खर्च के साथ प्राप्त किया जा सकता है ।
इस ब्लाग में यह पूरा ग्रन्थ लगभग सरल संस्कृत में प्रकाशित है । लेकिन फ़िर भी स्वदेशी, भारत गौरव और आयुर्वेद के पुनर्प्रतिष्ठापन हेतु इसका हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन भी बेहद आवश्यक है ।
वैसे तो अभी इंटरनेट पर तमाम आयुर्वेदिक बेवपेजों और जानकारी भरे लेखों की भरमार है । पर
अपवाद को छोङकर अधिंकाश त्रुटि युक्त और कापी पेस्ट ही है । ऐसी स्थिति में भावप्रकाश जैसे ग्रन्थों का श्लोक और अनुवाद सहित त्रुटि रहित प्रकाशन अति आवश्यक है ।
तमाम परोपकार और परमार्थ के इच्छुक लोग यहाँ हैं । वे इस दिशा में पहल कर सकते हैं । इससे स्वयं उन्हें भी अकल्पनीय लाभ और यश मिलेगा । साथ ही वे अपने परिवार समाज और स्वयं को भी पूर्ण निरोगी रख सकेंगे ।
पुस्तक प्राप्ति का लिंक -
http://www.exoticindiaart.com/book/details/bhava-prakash-khemraj-edition-NZB934/
‘भावप्रकाश आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ है । इसके रचयिता आचार्य भाव मिश्र थे । भावप्रकाश में आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयुक्त वनस्पतियों एवं जड़ी बूटियों का वर्णन है । भावप्रकाश, माधवनिदान तथा शार्ङ्गधर संहिता को संयुक्त रूप से 'लघुत्रयी' कहा जाता है ।’
इसके अलावा एक लिंक मिला । जहाँ इसके 100 से ऊपर पी डी एफ़ पेज तथा हिन्दी अनुवाद सहित किताब मिलने का पता है । यह ग्रन्थ लगभग 1150 रूपये और कुछ डाक खर्च के साथ प्राप्त किया जा सकता है ।
इस ब्लाग में यह पूरा ग्रन्थ लगभग सरल संस्कृत में प्रकाशित है । लेकिन फ़िर भी स्वदेशी, भारत गौरव और आयुर्वेद के पुनर्प्रतिष्ठापन हेतु इसका हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन भी बेहद आवश्यक है ।
वैसे तो अभी इंटरनेट पर तमाम आयुर्वेदिक बेवपेजों और जानकारी भरे लेखों की भरमार है । पर
अपवाद को छोङकर अधिंकाश त्रुटि युक्त और कापी पेस्ट ही है । ऐसी स्थिति में भावप्रकाश जैसे ग्रन्थों का श्लोक और अनुवाद सहित त्रुटि रहित प्रकाशन अति आवश्यक है ।
तमाम परोपकार और परमार्थ के इच्छुक लोग यहाँ हैं । वे इस दिशा में पहल कर सकते हैं । इससे स्वयं उन्हें भी अकल्पनीय लाभ और यश मिलेगा । साथ ही वे अपने परिवार समाज और स्वयं को भी पूर्ण निरोगी रख सकेंगे ।
पुस्तक प्राप्ति का लिंक -
http://www.exoticindiaart.com/book/details/bhava-prakash-khemraj-edition-NZB934/