Tuesday 24 April 2012

अशोक कुमार चियर्स विद प्रेत कन्या

हिन्दी ब्लागरों में भूत प्रेत की कहानियाँ लिखने वाले बहुत ही कम हैं । क्योंकि बीङू ये जिगर वाले लोगों का काम है । कमजोर लोगों का नहीं । संसार में भूत प्रेत के न मानने वाले भी बहुत है । और मानने वाले भी बहुत हैं । पढे लिखे भी मानते हैं । और अनपढ भी कहीं नहीं मानते । इसलिये प्रेतत्व सिद्धांत का अशिक्षा से शायद कोई सम्बन्ध नहीं । जो भी हो । मुझे भूतऽऽ शब्द कहते ही डर लगने लगता है । फ़िर भूत प्रेत की कहानियाँ भला क्या लिखूँगा । लेकिन सभी लोग मेरे जैसे डरपोक भी नहीं होते । इसलिये ब्लागर्स परिचय श्रंखला में आज मिलिये । ऐसे  ही एक बहादुर इंसान से ।
बिहार के छोटे जी के ब्लाग पर रात में मत

जाना । अकेले भी मत जाना ।  अगर डरपोक हैं । तब भी मत जाना । क्योंकि इनके ब्लाग पर लिखी हैं - भूत प्रेत की कहानियाँ । इसलिये संभल कर जाना । जी हाँ ! इनका शुभ नाम है - छोटे । और इनकी Industry है - Real Estate और इनका Occupation है - निजी । और इनकी Location है - बक्सर । बिहार India छोटे जी अपने Introduction में कहते हैं -बिहार में जन्मा हूँ । यूपी में पला हूँ । अभी बिहार में हूँ । लेकिन कब तक ? पता नहीं । मैं तरह तरह की कहानियां गढ़ता और सुनता सुनाता रहा हूँ । बच्चे मुझसे भूतों की कहानियां बड़े चाव से सुनते हैं । और इनका Interests है - पढना लिखना । घूमना फिरना । और इनकी Favourite Films है - गाइड । काला पानी । असली नकली । और इनका Favourite Music है - लोक संगीत । और इनकी Favourite Books हैं - ड्राकुला । गाड़ फादर । चंद्रकांता संतति । भूतनाथ । रोहतास मठ । और इनके ब्लाग हैं - रहस्य रोमांच ( भूत प्रेत ) और - At a glance इनके ब्लाग पर जाने हेतु ब्लाग नाम पर क्लिक करें ।


- और आगे पढिये । छोटे जी की भूत प्रेत से सम्बंधित 2 रचनायें संस्मरण के  रूप में ।
अशोक कुमार चियर्स विद प्रेत कन्या
अपने ज़माने के चर्चित फिल्म अभिनेता दादा मुनी यानी अशोक कुमार का भी भूत प्रेत से पाला  पड़ा था । उन्होंने उस ज़माने की एक पत्रिका में  कुछ आप बीती घटनाओं के बारे में लिखा था । उनमें से एक घटना यूँ हुई कि - एक बार शूटिंग के बाद वे देर रात अपनी कार से घर लौट रहे थे । जोरों की बारिश हो रही थी । रह रहकर बिजली भी कड़क रही थी । गाड़ी चलने में उन्हें परेशानी हो रही थी । उन्होंने सोचा कि क्यों नहीं रास्ते में अपने दोस्त के गेस्ट हाउस में रुक जाएँ । और बारिश रुकने के बाद आगे बढ़ें । उन्होंने कार को गेस्ट हाउस की तरफ मोड़ लिया । गाड़ी पार्क कर वे अंदर एक कमरे में चले गए । उन्होंने केयर टेकर से कहकर खिड़की के पास टेबल कुर्सी लगवा ली । एक जग पानी और गिलास रखवा लिया । व्हिस्की की एक बोतल निकाली । और पैग बनाकर सिप करने लगे । तभी तेज़ बारिश के बीच किसी ने दरवाज़ा खटखटाया । दरवाज़ा खोला । तो उन्हें वहाँ एक खूबसूरत सी लड़की पानी से भीगी हुई खड़ी मिली । उसने बताया कि वह लिफ्ट लेकर एक ट्रक पर मुंबई जा रही थी । बारिश के कारण ट्रक वाला आगे नहीं जा रहा है । बारिश बंद होने के बाद जायेगा । मैंने खिड़की के पास आपको बैठे देखा । तो चली आई । बारिश रुकने तक आप शरण दे दें तो ।


- कोई बात नहीं अंदर आ जाओ । दादा मुनी ने उसे अंदर आने दिया । फिर अपनी जगह बैठकर व्हिस्की पीने लगे । लड़की भी एक कुर्सी खींच कर उनके पास ही बैठ गयी । वह टकटकी लगाकर व्हिस्की के गिलास की और देखने लगी ।
- पियोगी ? दादा मुनी ने पूछा ।
उसने सहमति से सर हिला दिया । तो दादा मुनी ने एक नया पैग बनाकर उसे दे दिया ।
बारिश रुकने पर वह इजाजत लेकर बाहर चली गयी । दादा मुनी ने उसे ट्रक की तरफ जाते हुए देखा । ट्रक के पास पहुँचने पर ट्रक ड्राइवर से उसे कुछ बातें करते हुए देखा । फिर उन्होंने देखा कि ट्रक वाले ने अचानक चाकू निकाला । और लड़की के सीने में घोंप दिया । लड़की सड़क पर गिरकर छटपटाने लगी । और ट्रक वाला ट्रक लेकर भाग निकला । दादा मुनी दौड़ते हुए वहाँ गए । तो देखा । लड़की मर चुकी है । वे अपनी कार से तुरंत थाना पहुंचे । और थानेदार को घटना की जानकारी दी । थानेदार ने कहा कि - वह उनका बहुत बड़ा फैन है । दादा मुनी ने उसे घटनास्थल पर चलने को कहा । तभी एक सिपाही बोला कि - वहाँ कोई क़त्ल नहीं हुआ है । जिस जगह की बात हो रही है । वहाँ कई लोगों ने इस घटना की रिपोर्ट की है । लेकिन वहाँ कुछ नहीं मिलता । यह सब प्रेत लीला है ।
दादा मुनी के आग्रह करने पर सिपाही और दरोगा उनके साथ गए । लेकिन दादा मुनी यह देखकर दंग रह गए कि - वहाँ न कोई लाश थी । न खून के निशान । उन्हें मान लेना पड़ा कि - सिपाही सच कह रहा था ।

सिपाही ने कहा कि - बहुत साल पहले इस जगह पर सही में एक लड़की का क़त्ल किसी ट्रक वाले ने किया था । उसकी आत्मा आज भी भटकती है । और इसी तरह बरसात के मौसम में वह दिखाई पड़ती है ।
प्रेत सुन्दरी
रात के दो बज रहे थे । जोरों की बारिश हो रही थी । घना अँधेरा था । बादल रह रह कर गरज रहे थे । थोड़ी थोड़ी देर पर बिजली चमकती । तो आस पास की चीजें दिखाई पड़ती थीं । अन्यथा हाथ को हाथ दिखना भी मुश्किल लग रहा था । झारखंड के घाट शिला स्टेशन के बाहर रामदीन अपना ऑटो लगाये सवारी का इंतजार कर रहा था । इस मौसम में सवारी मिलने की उम्मीद बहुत कम थी । फिर भी हो सकता था । कुछ देर 


बाद आने वाली ट्रेन से कोई सवारी आ जाये । करीब एक घंटे बाद ट्रेन आई । थोड़ी देर बाद बिजली चमकने पर एक 18 -19 वर्ष की मॉडर्न सी लड़की कंधे पर एक बैग लटकाए बाहर निकलती दिखी । वह सीधे उसके ऑटो के पास पहुंची । और मुसाबनी चलने को कहा । रामदीन ने कहा कि - रात का वक़्त है । इसलिए वहां चलने पर पांच सौ रूपये लूँगा । नहीं तो दो चार घंटे इंतज़ार कर लीजिये । सुबह सौ रुपये में ले चलूँगा । लड़की बोली - अभी दो सौ रुपये रखो । बाकी वहां पहुँच कर दूँगी । और ऑटो पर बैठ गयी ।
रामदीन ने ऑटो बढ़ा दिया । करीब आधा घंटे बाद वह गंतव्य तक पहुंचा । एक मकान के बाहर लड़की ने गाड़ी रुकवाई । और घर से पैसे लेने की बात कहकर अन्दर चली गयी ।
काफी देर तक वह नहीं लौटी । तो रामदीन अकेले बैठे बैठे परेशान हो गया । उसने घर का दरवाजा खटखटाया । काफी देर बाद एक बूढ़े ने आँखे मलते हुए दरवाजा खोला । उसने पूछा - कौन हो तुम ? और इतनी रात को किसलिए आये हो ?
रामदीन बोला - जो मैम साहब साहब थोड़ी देर पहले आई हैं । उन्होंने मेरा पूरा भाडा नहीं दिया है ।
बूढ़े ने आश्चर्य से उसकी और देखा । बोला - यहाँ तो कोई मैम साहब नहीं रहतीं । मैं अकेला रहता हूँ ।
रामदीन की नज़र एक फोटो पर पड़ी । उसने कहा - यही मेम साहब तो आई थीं । उन्हें स्टेशन से लेकर आया हूँ ।

बूढ़े ने उसे आश्चर्य से देखा । फिर बोला - इस लड़की को मरे आठ साल हो गए । देखो फोटो पर माला डाला हुआ है । ये मेरी पोती थी । ये कैसे आ सकती है ?
रामदीन के होश उड़ गए । वह चुपचाप अपने ऑटो के पास  पहुंचा । उसने देखा कि सीट पर सौ सौ के तीन नोट रखे थे  । उसने नोट जेब में रखा । और वहां से बेतहाशा भागा । उस दिन से उसने रात में ऑटो चलाना छोड़ दिया ।
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