स्टीविया अर्थात आयुर्वेदिक चीनी - स्टीविया से आप सब अनजान तो होंगे नहीं । स्टीविया रिबाऊदियाना मूल रूप से पेरूग्वे का पौधा है । वहाँ ये बेहया की तरह अपने आप उग जाता है । यह पौधा सामान्यतः शक्कर से 30 गुना मीठा होता है । यही नहीं इसका एक्सट्रेक्ट चीनी से 300 गुना मीठा होता है । इसके गुणों को जानना तो जैसे आम मानव के लिए वरदान बन गया । आज के समय में जब मधुमेह की बीमारी 1 महामारी का रूप लेती जा रही है । और शुगर फ्री, ईकुअल, टोटल जैसी दवाएं हर दसवें घर में प्रयोग की जा रही हैं । तो सावधानियां नितांत आवश्यक हो गयी हैं । विश्व की मधुमेह आबादी में हर पांचवा व्यक्ति भारतीय देखा गया है । अब आप सभी चीनी छोड़ कर स्टीविया का प्रयोग शुरू कर दीजिये ।
स्टीविया की व्यवसायिक खेती जापान, पेरूग्वे, कोरिया, ताईवान, अमेरिका तथा एशिया में हो रही है । भारतवर्ष में पंजाब ,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, और थोड़ी मात्रा में उत्तर प्रदेश में भी हो रही है । आप भी चाहें । तो अपनी गृह वाटिका में इसके 5-10 पौधे लगा सकते हैं । क्योंकि बुजुर्गों ने कहा है - सावधानी हमेशा अच्छी होती है ।
स्टीविया का पौधा 70 सेमी ऊंचा पौधा है । यह बहुवर्षीय झाडीनुमा पौधा है । जिसे पनपने के लिए 12 से 45 डिग्री तापमान चाहिए ।
स्टीविया के पत्ते का स्वाद मीठा होता है । इसके पत्तों में स्टीवियोसाइड, रीबाऊदिस, रीबाऊदिसाइदसी, डुल्कोसाइड, जैसे यौगिक पाये जाते हैं । जिनके कारण पत्तों में इंसुलिन बैलेंस करने की शक्ति आ जाती है । स्टीवियोसाइड इसके पत्तों में 5 से 20% तक पायी जाती है । 10% स्टीवियोसाइड वाले पत्ते अच्छे माने जाते हैं ।
इन पत्तों का उपयोग आसान सा है । इसके पत्तों को छाये में 3 दिन सुखा लीजिये । फ़िर उन्हें मिक्सर में महीन पीस लीजिये । एक कप काफी या चाय में इस चूर्ण की आधे से 1 ग्राम मात्रा काफी होगी । इस चूर्ण को आवश्यकता के अनुसार आप हर मीठी चीज को मीठा करने के लिए डाल सकते हैं । तैयार सामान पूरी तरह कैलोरी शून्य होगा । अब शुगर के रोगी जितनी चाहें मिठाई खाएं । वो भी धड़ल्ले से । यह पूरी तरह से हर्बल है । जबकि आज तक जो भी कैलोरी फ्री शुगर फ्री दवाएं प्रयोग हो रही थी । सबमें कोई न कोई साइड इफेक्ट का ख़तरा था । और स्टीविया हर तरह के साइड इफेक्ट से मुक्त है । इसके अलावा यह हाई ब्लड प्रेशर एवं ब्लड शुगर का भी नियमितीकरण करता है । यह चर्म रोगों में भी फायदेमंद है । यह एंटी वायरल तथा एंटी बैक्टीरियल का भी काम करता है ।
भारतीय भोजन का जरूरी हिस्सा मिठाई होती है । खीर, हलुआ, शरबत तो प्रतिदिन की एक डिश है । पर हम अब शारीरिक श्रम कम करते हैं । तो अनावश्यक कैलोरी के साथ मोटापा बढ़ने के डर से मीठा खा नहीं पाते । अब मन मसोसने की जरूरत नहीं । जी भर कर मीठा खाएं । पर गन्ने की चीनी नहीं - स्टीविया का प्रयोग करें ।
हमारे यहां आश्रम में स्टीविया के पौधे, ताजे पते,व स्टीविया के पत्तों का शोधित चूर्ण उपलब्ध है ।
वैध बाबा जी । गुरुकृपा आयुर्वेद आश्रम । नजदीक काहलो डेयरी डी ए वी स्कूल ।
रूपनगर पंजाब । 09417166756, 09915335687
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साभार - वैद्य धर्मपाल जी
स्टीविया की व्यवसायिक खेती जापान, पेरूग्वे, कोरिया, ताईवान, अमेरिका तथा एशिया में हो रही है । भारतवर्ष में पंजाब ,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, और थोड़ी मात्रा में उत्तर प्रदेश में भी हो रही है । आप भी चाहें । तो अपनी गृह वाटिका में इसके 5-10 पौधे लगा सकते हैं । क्योंकि बुजुर्गों ने कहा है - सावधानी हमेशा अच्छी होती है ।
स्टीविया का पौधा 70 सेमी ऊंचा पौधा है । यह बहुवर्षीय झाडीनुमा पौधा है । जिसे पनपने के लिए 12 से 45 डिग्री तापमान चाहिए ।
स्टीविया के पत्ते का स्वाद मीठा होता है । इसके पत्तों में स्टीवियोसाइड, रीबाऊदिस, रीबाऊदिसाइदसी, डुल्कोसाइड, जैसे यौगिक पाये जाते हैं । जिनके कारण पत्तों में इंसुलिन बैलेंस करने की शक्ति आ जाती है । स्टीवियोसाइड इसके पत्तों में 5 से 20% तक पायी जाती है । 10% स्टीवियोसाइड वाले पत्ते अच्छे माने जाते हैं ।
इन पत्तों का उपयोग आसान सा है । इसके पत्तों को छाये में 3 दिन सुखा लीजिये । फ़िर उन्हें मिक्सर में महीन पीस लीजिये । एक कप काफी या चाय में इस चूर्ण की आधे से 1 ग्राम मात्रा काफी होगी । इस चूर्ण को आवश्यकता के अनुसार आप हर मीठी चीज को मीठा करने के लिए डाल सकते हैं । तैयार सामान पूरी तरह कैलोरी शून्य होगा । अब शुगर के रोगी जितनी चाहें मिठाई खाएं । वो भी धड़ल्ले से । यह पूरी तरह से हर्बल है । जबकि आज तक जो भी कैलोरी फ्री शुगर फ्री दवाएं प्रयोग हो रही थी । सबमें कोई न कोई साइड इफेक्ट का ख़तरा था । और स्टीविया हर तरह के साइड इफेक्ट से मुक्त है । इसके अलावा यह हाई ब्लड प्रेशर एवं ब्लड शुगर का भी नियमितीकरण करता है । यह चर्म रोगों में भी फायदेमंद है । यह एंटी वायरल तथा एंटी बैक्टीरियल का भी काम करता है ।
भारतीय भोजन का जरूरी हिस्सा मिठाई होती है । खीर, हलुआ, शरबत तो प्रतिदिन की एक डिश है । पर हम अब शारीरिक श्रम कम करते हैं । तो अनावश्यक कैलोरी के साथ मोटापा बढ़ने के डर से मीठा खा नहीं पाते । अब मन मसोसने की जरूरत नहीं । जी भर कर मीठा खाएं । पर गन्ने की चीनी नहीं - स्टीविया का प्रयोग करें ।
हमारे यहां आश्रम में स्टीविया के पौधे, ताजे पते,व स्टीविया के पत्तों का शोधित चूर्ण उपलब्ध है ।
वैध बाबा जी । गुरुकृपा आयुर्वेद आश्रम । नजदीक काहलो डेयरी डी ए वी स्कूल ।
रूपनगर पंजाब । 09417166756, 09915335687
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साभार - वैद्य धर्मपाल जी