धान का मिलेगा अधिक उत्पादन । बालाघाट । 24 जून 2015 - श्री पद्धति धान की खेती करने का नया तरीका है । जो कि परम्परागत तरीके से करने वाली खेती की अपेक्षा धान की अधिक से अधिक उपज में सहायक है । यदि किसान धान श्री विधि से उगायें । तो 1 एकड़ जमीन पर 40 से 50 क्विंटल धान की पैदावार होती है । पानी की कम से कम आवश्यकता होती है । जिले में किसानों को कृषि विभाग द्वारा सलाह दी गई है कि वे खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए श्री पद्धति से धान की खेती करें ।
उप संचालक कृषि श्री राजेश त्रिपाठी ने किसानों को सलाह दी है कि श्री पद्धति से धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने एक एकड़ धान की रोपाई के लिये 30 गुणा 5 फीट आकार में जमीन तैयार करें । सिंचाई या अतिरिक्त पानी हटाने के लिये प्लाट के बीच में लगभग 1.5 फीट का फसला रखें । हर एक प्लाट में 2 से 3 टोकरी अच्छी तरह पकी हुई कम्पोस्ट/गोबर की खाद डालें । उपचारित अकुंरित बीज को 6 हिस्सों में बराबर बराबर मात्रा में बांट लें । प्रत्येक हिस्से को इन 6 प्लाटों में समान रूप से छींटे ।
1 एकड़ जमीन के लिये 2 किग्रा बीज लें । आधा बाल्टी पानी में इतना नमक मिलाये कि मुर्गी का अंडा ऊपर आकर तैरने लगे । अंडे को निकाल कर उसमें बीज को डाल दें । जो बीज पानी में ऊपर की ओर तैरने लगे । उसे बाहर निकाल दें । क्योंकि वह खराब बीज है । स्वस्थ बीज से नमक हटाने साफ पानी से धो लें । धुले बीज को जूट की बोरी मे बांधकर 18 से 20 घंटे के लिये पानी में डाल दें । कार्बनडाजिम/बाविस्टीन मिले बीज को गीली बोरी में बांधकर 24 घंटे के लिये छायादार जगह या घर में अंकुरण के लिये रख दें । पौध को नर्सरी तक ले जाने के लिए 8 से 12 दिन की पौध रोपाई हेतु अच्छी मानी जाती है । पौध को जड़ की मिट्टी सहित सावधानी पूर्वक उखाड़कर नर्सरी से खेत तक 1 चौड़े बर्तन में रखकर ले जाते हैं । ध्यान रहे पौध को निकालने के आधे घंटे के अंदर रोप देना चाहियें । 10 इंच की दूरी पर 1-1 रोपा लाईन में लगाते हैं । 1 एकड़ जमीन में रोपने के लिये 2 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है ।
रोपाई के लिए खेत को परम्परागत तरीके से ही तैयार करें । 1 एकड़ खेत में 60 से 80 क्विंटल कम्पोस्ट/गोबर की खाद डालना चाहिये । लाइन से लाइन और पौध से पौध की दूरी 10 इंच होनी चाहिये । हर 15वीं लाईन के बाद 16वीं लाईन में दूरी 12 इंच होनी चाहिये । खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के बाद 15 दिन के अंतर पर कम से कम 2 बार कोनोवीडर मशीन चलाना चाहिये । श्री विधि से 1 एकड़ में 40 से 50 क्विंटल धान पैदा होती है । किसानों को सलाह दी गई है कि वे श्री विधि को अपनाकर धान की अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त कर लाभ कमायें ।
उप संचालक कृषि श्री राजेश त्रिपाठी ने किसानों को सलाह दी है कि श्री पद्धति से धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने एक एकड़ धान की रोपाई के लिये 30 गुणा 5 फीट आकार में जमीन तैयार करें । सिंचाई या अतिरिक्त पानी हटाने के लिये प्लाट के बीच में लगभग 1.5 फीट का फसला रखें । हर एक प्लाट में 2 से 3 टोकरी अच्छी तरह पकी हुई कम्पोस्ट/गोबर की खाद डालें । उपचारित अकुंरित बीज को 6 हिस्सों में बराबर बराबर मात्रा में बांट लें । प्रत्येक हिस्से को इन 6 प्लाटों में समान रूप से छींटे ।
1 एकड़ जमीन के लिये 2 किग्रा बीज लें । आधा बाल्टी पानी में इतना नमक मिलाये कि मुर्गी का अंडा ऊपर आकर तैरने लगे । अंडे को निकाल कर उसमें बीज को डाल दें । जो बीज पानी में ऊपर की ओर तैरने लगे । उसे बाहर निकाल दें । क्योंकि वह खराब बीज है । स्वस्थ बीज से नमक हटाने साफ पानी से धो लें । धुले बीज को जूट की बोरी मे बांधकर 18 से 20 घंटे के लिये पानी में डाल दें । कार्बनडाजिम/बाविस्टीन मिले बीज को गीली बोरी में बांधकर 24 घंटे के लिये छायादार जगह या घर में अंकुरण के लिये रख दें । पौध को नर्सरी तक ले जाने के लिए 8 से 12 दिन की पौध रोपाई हेतु अच्छी मानी जाती है । पौध को जड़ की मिट्टी सहित सावधानी पूर्वक उखाड़कर नर्सरी से खेत तक 1 चौड़े बर्तन में रखकर ले जाते हैं । ध्यान रहे पौध को निकालने के आधे घंटे के अंदर रोप देना चाहियें । 10 इंच की दूरी पर 1-1 रोपा लाईन में लगाते हैं । 1 एकड़ जमीन में रोपने के लिये 2 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है ।
रोपाई के लिए खेत को परम्परागत तरीके से ही तैयार करें । 1 एकड़ खेत में 60 से 80 क्विंटल कम्पोस्ट/गोबर की खाद डालना चाहिये । लाइन से लाइन और पौध से पौध की दूरी 10 इंच होनी चाहिये । हर 15वीं लाईन के बाद 16वीं लाईन में दूरी 12 इंच होनी चाहिये । खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के बाद 15 दिन के अंतर पर कम से कम 2 बार कोनोवीडर मशीन चलाना चाहिये । श्री विधि से 1 एकड़ में 40 से 50 क्विंटल धान पैदा होती है । किसानों को सलाह दी गई है कि वे श्री विधि को अपनाकर धान की अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त कर लाभ कमायें ।