एक लड़की..
क्या गरीब । क्या अमीर ।
चंगुल में आ जाये ।
तो कोई फर्क नहीं होता ।
उसमें और मेमने में..।
शब्दों की यात्रा में शब्दों के अनगिनत यात्री मिलते हैं । शब्दों के आदान प्रदान से भावनाओं का अनजाना रिश्ता बनता है ।
गर शब्दों के असली मोती भावनाओं की आंच से तपे हैं ।
तो यकीनन गुलमर्ग यहीं हैं ।
सिहरते मन को शब्दों से तुम सजाओ ।
हम भी सजायें । यात्रा को सार्थक करें ।
मेरे एहसास इस मंदिर में अंकित हैं । जीवन के हर सत्य को मैंने इसमे स्थापित करने की कोशिश की है । जब भी आपके एहसास दम तोड़ने लगे । तो मेरे इस मंदिर मे आपके एहसासों को जीवन मिले । यही मेरा अथक प्रयास है । मेरी कामयाबी आपकी आलोचना समालोचना में ही निहित है । आपके हर सुझाव मेरा मार्गदर्शन करेंगे । इसलिए इस मंदिर मे आकर जो भी कहना आप उचित समझें । कहें..। ताकि मेरे शब्दों को नए आयाम, नए अर्थ मिल सकें..। रश्मिप्रभा
वास्तव में ईमानदारी से कहूँ । तो मैं रश्मिप्रभा जी से एकदम अपरिचित ही था । पर इनके ब्लाग पर इनकी पसंद । कलात्मकता पूर्ण अभिरुचि । अन्य विचार आदि से चकित ही रह गया । वास्तव में जिन्हें बचपन से ही ऐसी महान हस्तियों का सानिंध्य । सरंक्षण मिला हो । उनके बारे में कुछ भी कहने के लिये थोङे शब्दों से काम नहीं चल सकता । अतः आप खुद ही देखिये रश्मिप्रभा जी क्या कह रहीं हैं । राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ ।
रश्मिप्रभा..मैं गीतों की एक कड़ी हूँ । जो तुमने नहीं कहा । जो उसने नहीं कहा । वो सब कहना चाहती हूँ । गाना चाहती हूँ । मैं अपनी पिटारी के सारे ख्याल तुम्हें देना चाहती हूँ ।..कागजों में 31 अगस्त ।
अमृता का जन्मदिन होता है । मुहब्बत में हर रोज़ । अमृता का जन्मदिन होता है ।
सौभाग्य मेरा कि मैं कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हूँ । और मेरा नामकरण स्व सुमित्रानंदन पन्त ने किया । और मेरे नाम के साथ अपनी स्वरचित पंक्तियाँ मेरे नाम की..। " सुन्दर जीवन का क्रम रे । सुन्दर सुन्दर जग जीवन ".. शब्दों की पांडुलिपि मुझे विरासत मे मिली है । अगर शब्दों की धनी मैं ना होती । तो मेरा मन । मेरे विचार मेरे अन्दर दम तोड़ देते । मेरा मन जहाँ तक जाता है । मेरे शब्द उसके अभिव्यक्ति बन जाते हैं । यकीनन ये शब्द ही मेरा सुकून हैं । Industry । Business Services । Occupation । Business । Location । पटना । बिहार ।
साभार सभी चित्र सामग्री रश्मिप्रभा जी के ब्लाग्स से । आपका बहुत बहुत आभार रश्मिप्रभा जी ।
- Mukesh Kumar Sinha said...
- Rashmi di...ko kahin bhi dekh kar khushhi milti hai...:)
- रश्मि प्रभा... said...
- मेरा परिचय और आपकी कलम ... इस सम्मान के लिए मैं शुक्रगुज़ार हूँ
- सदा said...
- रश्मि दी के लिये जितना भी कहा जाये कम है ...ब्लाग जगत में आपकी स्नेहिल छवि हो या मेरी भावनायें पर प्रस्तुत आपकी कवितायें जीवन को एक नई दिशा देती आपके सवालों का जवाब कब बन जाती हैं आप स्वयं ही नहीं जान पाते, आपके लेखन की बात हो या वटवृक्ष के संचालन की आत्मचिंतन पर आपके विचारों की कडि़या जीवन का एक सच कहती सी लगती हैं आपका बहुत-बहुत आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये और रश्मि दी को बधाई ।
- Meenu Khare said...
- बहुत बहुत बधाइयाँ.बड़ी प्यारी तस्वीर आई है.मज़ा आ गया पढ़ कर. --- मीनू
- Meenu Khare said...
- pl include my blogs also having following addresses: http://meenukhare.blogspot.com/ http://entertainingscience.blogspot.com/
- mridula pradhan said...
- bahut achcha laga rashmi jee ke baare men padhkar.
- Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...
- जबसे ब्लॉग जगत में सक्रिय हुआ हूँ, रश्मिदी की रचनाओं का लुत्फ़ उठा रहा हूँ ... जीवन में कई संघर्षों का सामना करके भी उनमें जीवट की कमी नहीं है ... आपका आभार कि आप अपने इस मंच पर अच्छे रचनाकारों को स्थान दे रहे हैं ...
- नरेन्द्र व्यास said...
- बहुत ही अच्छा लिखा है आपने रश्मि दी के बारे में. जब मैंने आखर कलश शुरू किया तो सर्वप्रथम जो स्नेह, मार्गदर्शन और हौसला दीदी से मिला, मैं कभी भुला नहीं पाऊंगा. दीदी की सबसे बड़ी खूबी है कि इतनी बड़ी शक्शियत होने के बाद भी वे इतनी सहज और स्नेहिल है कि मन स्वतः उनके प्रति श्रद्धा में अपना सर झुका देता है. वर्तमान दौर में जब हर कोई सिर्फ और सिर्फ अपने को ही भुनाने में लगा है ऐसे दौर में सिर्फ एक ही नाम मिला जिसकी वात्सल्य रश्मियों से समूचा ब्लॉग जगत रोशन हो रहा है, और वो नाम है- रश्मि प्रभा ! कितना सही नाम दिया है कविवर पन्त जी ने 'रश्मि प्रभा' यथा नाम तथा गुण. जिस प्रकार सूरज की स्वर्णिम रश्मियाँ बिना किसी भेदभाव के सभी सभी का मार्ग प्रशस्त करती है ठीक उसी प्रकार दीदी भी अपने स्नेहिल सानिध्य से हम सभी का मार्ग प्रशस्त करने के साथ-साथ हौसला भी बढ़ाती हैं. दीदी की कविताओं से काफी कुछ सीखा है मैंने. कई नए आयाम मिले हैं, पहचान मिली है. पन्त जी का अलौकिक प्रेम, माँ सरस्वती की कृपा और संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. समूचा साहित्य और हिंदी ब्लॉग जगत आपके वृहद् व्यक्तित्व और कृतित्व का सदा ऋणी रहेगा. हम आपको नमन करतके हैं..!
- संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
- रश्मि जी को पढ़ना हमेशा सुकून देता है ...
- दर्शन कौर धनोए said...
- रश्मि जी से मेरा परिचय कुछ दिनों का ही हे --हम साथ साथ प्यारी माँ के लिए लिखते हे --राजीव जी की पांचवीं पोस्ट के लिए उन्हें ढेर सारी बधाइयाँ |
- ZEAL said...
- Rashmi ji is a sweet and loving person.
- Patali-The-Village said...
- सही नाम दिया है कविवर पन्त जी ने 'रश्मि प्रभा' यथा नाम तथा गुण|पन्त जी का अलौकिक प्रेम, माँ सरस्वती की कृपा और संस्कार आपको विरासत में मिले हैं|बाकी रश्मि जी के बारे में जितना कहा जाए काम है|आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये|
- Rashmi didi ko padhna kafi achha lagta hai .....aur unki tippnai se prerna bhi....