जब मैंने ब्लॉग लिखना शुरू किया था । तो मेरे ब्लॉग पर मोडरेशन नहीं था । लेकिन मेरी पहली पोस्ट पर ही अमरेन्द्र त्रिपाठी नामक ब्लागर ने आकर अभदृ टिप्पणियों की भरमार कर दी । फिर वो अपने समुदाय के श्रीशपाठक । गिरिजेश राव । अनूप शुक्ला । संजीत त्रिपाठी आदि को लाकर लड़ने लगा । और मेरे ब्लॉग को कुरुक्षेत्र बना दिया ।
इन लोगों से परेशान होकर मैंने ब्लॉग पर मोडरेशन लगा दिया । तो मुझे मेरे हर लेख पर डॉ अमर और अर्थ देसाई ने मोडरेशन हटाने के लिए परेशान करना शुरू कर दिया । परेशान होकर मैंने दुबारा मोडरेशन हटा दिया ।
लेकिन यहीं भारी भूल हो गयी । मोडरेशन हटाने के साथ ही । महफूज़ अली । दीपक मशाल । अमरेन्द्र त्रिपाठी [ रवि नाम से ] अरविन्द मिश्रा [ अजित नाम से ] ने ढेरों अश्लील एवं अभद्र टिप्पणियां की । इसके अतिरिक्त लेखिकाओं में अंशुमाला और पूजा ने ब्लॉग को पुनः महाभारत में बदल दिया । और जलजला आदि बेनामियों की तो कोई गणना ही नहीं है । उनको छिछोरापन करने का मौक़ा मिल गया । और बेनामी कोई दुसरे गृह से नहीं आते । इसी ब्लॉगजगत के विकृत मानसिकता वाले लेखक और लेखिका मोडरेशन ना होने का लाभ उठाते हैं । बेनामी बनकर अपमानित करते हैं ।
बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के लेख लिखते हैं ?? यदि आप पूरी उमृ बादलों और जुल्फों पर लिखते रहेंगे । तो उन पर इन विवाद पसंद लोगों को विवाद करने का मौक़ा नहीं मिलता । लेकिन यदि आप समाज में तथा अपने आसपास के परिवेश में हो रहे भृष्टाचार अन्याय और अनियमितताओं पर लिखते हैं । तो लोगों में विचारों का मंथन होता है । ऐसे में ईमानदार एवं सभ्रांत पाठक तो अपने बहुमूल्य विचार रखते हैं । लेकिन ईर्ष्यालू एवं पूर्वागृहों से युक्त पाठक तथा टिप्पणीकार अपनी भड़ास निकालते हैं । लेकिन मोडरेशन होने के कारण ऐसे लोगों की साहित्यिक सडांध को रोकने में एवं लेख को दूषित होने से बचाने में मदद मिलती है ।
दूसरी बात । जिन्होंने मोडरेशन लगाया है । वो कोई मूर्ख तो हैं नहीं । कुछ सोच समझकर ही लगाया होगा । एक बात समझ नहीं आती । जिन्होंने मोडरेशन नहीं लगाया है । उनको इसमें इतनी आपत्ति क्यूँ होती है । उनसे तो कोई कह नहीं रहा कि आप भी लगाईए ।
अरे भाई आप अपने तरीके से खुश रहिये । दूसरों को उनके तरीके से जीने दीजिये ।
तीसरी बात । प्रवीण शाह जैसे लोग तो शालीन एवं शिष्ट टिप्पणियां भी डिलीट कर देते हैं । गुटबाजी के चलते । तो फायदा क्या ? प्रकाशित sensible कमेंट्स डिलीट करके । ये बिना मोडरेशन वाले क्या जाहिर करना चाहते हैं ?
मेरे विचार से मोडरेशन लगाना है । अथवा नहीं । ये भुक्तभोगी व्यक्ति ही निर्णय ले सकता है । अपनी सुरक्षा केवल अपने हाथों में ही होती है । अभद्र । अश्लील । भड़ासयुक्त एवं ईर्ष्यायुक्त टिप्पणियों से बचने के लिए एकमात्र उपाय संभव उपाय है । मोडरेशन । ये लेखक एवं लेखिका की पसंद नहीं मजबूरी है । कृपया मजबूरी में लिए गए निर्णय का सम्मान कीजिये । मोडरेशन लगाने के कारण आपको होने वाली असुविधा के लिए खेद सहित । दिव्या ।
साभार । डा. दिव्या जी के ब्लाग " जील " से । आपके उत्तम विचारों के लिये धन्यवाद दिव्या जी ।
इन लोगों से परेशान होकर मैंने ब्लॉग पर मोडरेशन लगा दिया । तो मुझे मेरे हर लेख पर डॉ अमर और अर्थ देसाई ने मोडरेशन हटाने के लिए परेशान करना शुरू कर दिया । परेशान होकर मैंने दुबारा मोडरेशन हटा दिया ।
लेकिन यहीं भारी भूल हो गयी । मोडरेशन हटाने के साथ ही । महफूज़ अली । दीपक मशाल । अमरेन्द्र त्रिपाठी [ रवि नाम से ] अरविन्द मिश्रा [ अजित नाम से ] ने ढेरों अश्लील एवं अभद्र टिप्पणियां की । इसके अतिरिक्त लेखिकाओं में अंशुमाला और पूजा ने ब्लॉग को पुनः महाभारत में बदल दिया । और जलजला आदि बेनामियों की तो कोई गणना ही नहीं है । उनको छिछोरापन करने का मौक़ा मिल गया । और बेनामी कोई दुसरे गृह से नहीं आते । इसी ब्लॉगजगत के विकृत मानसिकता वाले लेखक और लेखिका मोडरेशन ना होने का लाभ उठाते हैं । बेनामी बनकर अपमानित करते हैं ।
बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के लेख लिखते हैं ?? यदि आप पूरी उमृ बादलों और जुल्फों पर लिखते रहेंगे । तो उन पर इन विवाद पसंद लोगों को विवाद करने का मौक़ा नहीं मिलता । लेकिन यदि आप समाज में तथा अपने आसपास के परिवेश में हो रहे भृष्टाचार अन्याय और अनियमितताओं पर लिखते हैं । तो लोगों में विचारों का मंथन होता है । ऐसे में ईमानदार एवं सभ्रांत पाठक तो अपने बहुमूल्य विचार रखते हैं । लेकिन ईर्ष्यालू एवं पूर्वागृहों से युक्त पाठक तथा टिप्पणीकार अपनी भड़ास निकालते हैं । लेकिन मोडरेशन होने के कारण ऐसे लोगों की साहित्यिक सडांध को रोकने में एवं लेख को दूषित होने से बचाने में मदद मिलती है ।
दूसरी बात । जिन्होंने मोडरेशन लगाया है । वो कोई मूर्ख तो हैं नहीं । कुछ सोच समझकर ही लगाया होगा । एक बात समझ नहीं आती । जिन्होंने मोडरेशन नहीं लगाया है । उनको इसमें इतनी आपत्ति क्यूँ होती है । उनसे तो कोई कह नहीं रहा कि आप भी लगाईए ।
अरे भाई आप अपने तरीके से खुश रहिये । दूसरों को उनके तरीके से जीने दीजिये ।
तीसरी बात । प्रवीण शाह जैसे लोग तो शालीन एवं शिष्ट टिप्पणियां भी डिलीट कर देते हैं । गुटबाजी के चलते । तो फायदा क्या ? प्रकाशित sensible कमेंट्स डिलीट करके । ये बिना मोडरेशन वाले क्या जाहिर करना चाहते हैं ?
मेरे विचार से मोडरेशन लगाना है । अथवा नहीं । ये भुक्तभोगी व्यक्ति ही निर्णय ले सकता है । अपनी सुरक्षा केवल अपने हाथों में ही होती है । अभद्र । अश्लील । भड़ासयुक्त एवं ईर्ष्यायुक्त टिप्पणियों से बचने के लिए एकमात्र उपाय संभव उपाय है । मोडरेशन । ये लेखक एवं लेखिका की पसंद नहीं मजबूरी है । कृपया मजबूरी में लिए गए निर्णय का सम्मान कीजिये । मोडरेशन लगाने के कारण आपको होने वाली असुविधा के लिए खेद सहित । दिव्या ।
साभार । डा. दिव्या जी के ब्लाग " जील " से । आपके उत्तम विचारों के लिये धन्यवाद दिव्या जी ।