Tuesday, 7 March 2017

नमक - फ़ायदे अनेक

गब्बर - अरे ओ सांभा ! कितने रोग हैं तेरे को ?
सांभा - सरदार ! बहुत हैं ।
गब्बर - तो फ़िर नमक खा ।
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मेदा विकार -
एक वर्ष आयु की एक बच्ची को काफ़ी दिनों से दस्त, पेचिश, कब्ज यानी मेदे और पेट से सम्बन्धित बीसियों रोग थे । हर प्रकार की डाक्टरी, यूनानी दवायें बे-असर हुयीं । बच्ची दिनोंदिन निढाल कमजोर हो रही थी । भूख बिलकुल नही लगती, थोङा भी कुछ खा ले तो दस्त हो जाता । बच्ची एकदम मरियल होकर अस्थिपंजर मात्र रह गयी ।
संयोगवश अस्सी साल की एक वृद्धा से जिक्र होने पर उन्होंने बताया - बच्ची को ‘मेदा विकार’ की शिकायत है । मेदा ठीक न होने तक बच्ची स्वस्थ न होगी ।
फ़िर उनके सुझाये अनुसार - 3 ग्राम काला नमक, एक चम्मच पानी में पकाकर दिया गया ।
ऐसा करने से जादुई असर हुआ । दस्त आदि बन्द होकर हाजमा (पाचन) ठीक होने लगा और वह पूर्ण स्वस्थ हो गयी ।
औषधि मात्रा - आयु अनुसार 3 से 6 ग्राम तक ।
यदि महीने, दो महीने बाद मेदे और पेट की दोबारा शिकायत हो तो दोबारा दे दें ।
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आँख की दवा (आई लोशन) -  8 ग्राम बढ़िया अर्क सौंफ़ में 6 ग्राम शीशा नमक बारीक पीसकर मिलाकर शीशी में रखें । प्रातः-सांय 2-2 बूँदें आँखों में डालने से सुर्खी, धुंध, जाला, आँखों से पानी बहना आदि दूर करता है ।
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कान दर्द - 60 ग्राम लाहौरी नमक (सफ़ेद), 250 ग्राम पानी में बारीक पीसकर मिलायें । जब बिलकुल घुल जाये तो इसमें 120 ग्राम तिली का तेल मिलाकर धीमी आँच पर पकायें । जब पानी जलकर तेल बच रहे तो उतारकर रख लें । 2-3 दिन में तेल ऊपर आ जायेगा । निथार कर शीशी में रख लें ।
दो बूँद गुनगुना करके कान में टपकायें । भयंकर दर्द से भी तुरन्त राहत होगी । कान बहने में भी लाभदायक ।
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सुरमा मोतियाबिन्द - 15 ग्राम लाहौरी नमक (चमकदार), 30 ग्राम कूजा मिश्री, दोनों को खरल में सुरमा बनायें । शुरूआती मोतियाबिन्द में अति लाभदायक, इसके अलावा धुंध, जाला, फ़ूला इत्यादि में लाभ देता है ।
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पेट के कीङे - 4 ग्राम बारीक नमक, प्रातः गाय के छाछ (मठ्ठा) से फ़ांक लें । कीङे मर जायेंगे ।
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अमृत-चूर्ण - 30 ग्राम काला नमक, 15 ग्राम शुद्ध नौसादर, 8 ग्राम धतूरे के बीज, 2 ग्राम काली मिर्च, 2 रत्ती सत पुदीना (क्रिस्टल)
सब चीजों को बारीक पीसकर मिला लें । औषधि तैयार है ।
यदि रंग बदलना हो तो 15 ग्राम हुरमची या बाजारी कुश्ता फ़ौलाद मिला लें ।
गुण-लाभ, विशेषतायें - मेदे को मल से साफ़ करके मन्दाग्नि तेज करता है । खाया पिया खूब पचता है, नया खून बनता है ।
मितली, कै (उल्टी, वमन), खट्टी डकारें, पेट का भारी रहना, जिगर की कमजोरी, तिल्ली, वायुगोला, दमा-खाँसी, नजला और मलेरिया के लिये उपयोगी ।
सिर दर्द, दाँत दर्द तथा विषैले जीव जन्तुओं के काटने में लाभदायक है ।
सेवन विधि - प्रायः इस औषधि को जल के साथ सेवन किया जाता है । दाँत दर्द और विषैले कीङे काटने पर इसे मलना चाहिये । आधा सीसी दर्द में इसे सूंघना चाहिये ।
बुखार की स्थिति में कब्ज दूर करके अर्क अजवायन के साथ देने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है ।
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आँखों की थकावट - आधा गिलास बहुत गर्म पानी में एक चम्मच साधारण नमक घोल लें । फ़िर एक साफ़ सूती कपङे की गद्दी (तह) बनाकर इस पानी में डुबायें । थोङा निचोङें और आँखें बन्द करके इसको ऊपर रख लें ।
गद्दी उस समय तक रखें । जब तक कुछ ठंडी लगने लगे । यही क्रम 3-4 बार दुहरायें ।
इसके बाद कोई ठंडी क्रीम आँखों के इर्द-गिर्द मलें । फ़िर क्रीम पोंछ दे ।
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बिच्छू काटना - 15 ग्राम लाहौरी नमक, 75 ग्राम स्वच्छ पानी में मिलाकर रख लें । बिच्छू काटने पर (सलाई आदि से ) आँखों में लगायें । तुरन्त एक सेकेंड में विष उतरना शुरू होगा और डंक के स्थान पर दर्द न रहेगा । (साधु द्वारा बताया अनेकों बार आजमाया नुस्खा)
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मलेरिया का सफ़ल इलाज - प्रतिदिन या चौथे दिन सर्दी लगकर बुखार आये तो समझ लें मलेरिया है । (सुप्रसिद्ध अनुभवी वैद्य का नुस्खा)
साधारण नमक को साफ़ कङाही या तवे पर ‘भूरा होने तक’ भूने । फ़िर बच्चे के लिये आधा चम्मच और वयस्क के लिये एक चम्मच नमक लेकर एक गिलास पानी में उबालें ।
जिस समय रोगी को बुखार न चढ़ा हो, उस समय पीने योग्य गुनगुना यह पानी उसे पिला दें । 90% रोगियों को दोबारा बुखार नही होगा । बुखार न उतरने पर दोबारा (अगले दिन) पिलायें ।
तीसरी बार आवश्यकता नही पङेगी ।
(रोगी को सर्दी से बचाने पर अधिक ध्यान देना चाहिये)
इसका वास्तविक लाभ भूखे पेट सेवन करने से होता है ।
डा. ब्रोक ने हंगरी और दक्षिणी अमेरिका के प्रान्तों में इस नुस्खे का सफ़ल उपयोग किया ।
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बेमिसाल सुरमा - लाहौरी नमक के चमकदार साफ़ टुकङे को खूब बारीक पीस लें । ये अद्वितीय सुरमा है ।
आँखों में कुक्करे, पानी बहना, फ़ूला (किन्तु चेचक का न हो) ये सभी कष्ट दूर होते हैं ।
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दर्द और जलन - बिच्छू, विषैली मक्खी और भिङ इत्यादि के डंक पर जरा सा पानी लगाकर बारीक पिसा हुआ नमक रगङने से दर्द और जलन बन्द हो जाती है, सूजन नही होती ।
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सिर-दर्द - एक चुटकी नमक जीभ पर रखें और दस मिनट बाद एक गिलास ठंडा पानी पियें । दर्द दूर होगा ।
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नजला-जुकाम - सफ़ेद नमक शहद में गोधकर और कपङे में लपेट कर तथा ऊपर मिट्टी लगाकर आग पर रखें । मिट्टी सुर्ख हो जाये तो नमक को निकालकर पीस लें ।
एक ग्राम रोजाना प्रातः या भोजन के बाद पानी से सेवन करने से नजला-जुकाम, वायु और जोङों के दर्द के लिये लाभदायक है ।
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बन्द मासिक धर्म - बच्चा होने के पश्चात ठंडी हवा या ठंडे पानी के इस्तेमाल से गन्दे खून का बाहर निकलना बन्द हो जाता है । इससे पेट में तेज दर्द और अफ़ारा हो जाता है तथा योनि के ऊपर एक गांठ सी पैदा हो जाती है । मूत्र बिलकुल रुक जाता है या थोङा थोङा आता है । कई बार गन्दे खून के रुक जाने से टांगों में तेज दर्द होता है ।
ऐसी स्थिति में डेढ़-डेढ़ ग्राम नमक गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार खिलायें । इससे गन्दा खून दोबारा जारी होकर निकल जाता है ।
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नमक के पानी से स्नान लाभ -
एक बाल्टी गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर स्नान करें । गर्मियों के दिनों में एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नमक घोलकर ठंडे पानी में डाल दें । दस मिनट बाद स्नान करें ।
माइश्चराइजर - त्वचा में नमी (मोश्चराइजिंग) होती है । त्वचा कोशिकाओं (सेल्स) की ग्रोथ अच्छी होती है । त्वचा के दाग, झुर्रियां दूर होकर स्वस्थ होती है ।
फ़ेयरनेस - मृत कोशिकाओं को निकालने में मदद करता है । त्वचा मुलायम, चमकीली होगी । रंग खिलेगा ।
अच्छी नींद - थकान और तनाव दूर होकर मस्तिष्क को आराम मिलता है । अच्छी नींद आती है ।
डेंड्रफ़ (रूसी) - नमक के पानी में मौजूद तत्व फ़ंगल इंफ़ेक्शन बढ़ने से रोकते हैं । रोज नहाने से डेंड्रफ़ से छुटकारा होगा ।
स्वस्थ बाल - ब्लड सर्कुलेशन (रक्त संचार) सुधरता है । बालों के बैक्टीरिया खत्म होते हैं । इसलिये नमक के पानी से सिर धोकर नहाने से बाल स्वस्थ और चमकीले होते हैं ।
एसिडिटी - नमक के पानी में मोजूद तत्व ‘आयल लेवल’ नियन्त्रित करते हैं । इससे ऐसिडिटी दूर होती है ।
हड्डियों का दर्द - इस पानी के स्नान से आस्टियो आर्थराइटिस, टेन्डीनिटिस जैसी जोङ दर्द और हड्डियों के दर्द की समस्या दूर होती है ।
मांसपेशी का दर्द - मांसपेशी में शिथिलता होकर राहत मिलती है ।
तनाव - रक्त संचार सुधरने से ब्रेन फ़ंक्शन्स बेहतर होते हैं । ब्रेन रिलेक्स होकर तनाव दूर होता है ।
इंफ़ेक्शन - नमक के पानी में भरपूर मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम जैसे खनिज होते हैं । ये स्किन पोर्स में जाकर सफ़ाई करते हैं । इससे इंफ़ेक्शन का खतरा टलता है । 

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