Monday 11 June 2018

कटहल

भारत का बेहद पसंदीदा फल कटहल विश्व में सबसे बड़ा होता है।
इसकी सब्जी, पकौडे़, अचार आदि बनाते हैं।
जब यह पक जाता है तब इसके अंदर के मीठे फल को खाते हैं जो बेहद स्वादिष्ट होता है।
कटहल के अंदर कई पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं जैसे विटामिन ए, सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक आदि।
इसके रेशेदार फल में खूब सारा फाइबर पाया होता है। लेकिन इसमें कैलोरी बिलकुल नहीं होती।
पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके उबालने और फ़िर इस मिश्रण को ठंडा कर एक गिलास पीने से जबरदस्त स्फ़ूर्ति आती है।
यह ह्रदय रोगियों के लिये भी अच्छा माना जाता है।
स्वास्थ्य लाभ - 
- कटहल में पोटैशियम पाया जाता है जो कि हार्ट समस्या को दूर करता है क्योंकि यह ब्लड प्रेशर लो करता है।
- इसके फल में काफी आयरन होता है जो एनीमिया को दूर करता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है।
- इसकी जड़ अस्थमा के रोगियों के लिये अच्छी मानी जाती है। जड़ को पानी के साथ उबाल कर बचा हुआ पानी छान कर पियें तो अस्थमा कंट्रोल होगा।
- इसमें मौजूद सूक्ष्म खनिज और कॉपर थायराइड चयापचय के लिये प्रभावशाली होता है। खासतौर पर यह हार्मोन के उत्पादन और अवशोषण के लिये अच्छा है।
- हड्डियों के लिये भी यह बहुत अच्छा होता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हड्डी में मजबूती लाता है तथा भविष्य में ऑस्टियोपुरोसिस की समस्या से निजात दिलाता है।
- इसमें विटामिन सी और पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और बैक्टीरियल, वाइरल इंफेक्शन से बचाता है।
- इसमें मौजूद शर्करा जैसे, फ्रक्टोज़ और सूकरोज़ तुरंत ऊर्जा देते हैं। इस शर्करा में बिल्कुल भी जमी हुई चर्बी और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता।
- कटहल अल्सर और पाचन सम्बंधी समस्या को दूर करता है। इसमें फाइबर होता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करता है।
- इसमें विटामिन ए पाया जाता है जिससे आँखों की रोशनी बढ़ती है और स्किन अच्छी होती है। यह रतौंधी को भी ठीक करता है।
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सावधानी -
पके कटहल का फल कफवर्धक है, अत: सर्दी-जुकाम, खांसी, अर्जीण आदि रोगों से प्रभावित व्यक्तियों एवं गर्भवती महिलाओं को कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए।
कटहल खाने के बाद पान खाने से पेट फूल जाता है और अफरा होने का डर रहता है अत: भूलकर भी कटहल के बाद पान न खाएं। दुबले-पतले पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को पका कटहल दोपहर में खाकर कुछ देर आराम करना चाहिए।

Saturday 26 May 2018

खतरनाक वायरस ‘निपाह’

निपाह वायरस से बचने का आयुर्वेदिक तरीका -
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4 लौंग एवं थोङा-सा सेंधा नमक अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी पियें।
3-4 तुलसी के पत्ते चबायें, ध्यान रहे, पत्ते दांतों से कम स्पर्श करें।
(क्योंकि तुलसीपत्र दांतों के लिये हानिकारक है।)
आवश्यकतानुसार ऐसा दिन में दो-तीन बार करें।
तो इस वायरस के आक्रमण से बच सकते हैं।
लौंग प्रबल Antivirus है,
सेंधा नमक के साथ मिलकर इसका प्रभाव अतिसूक्ष्म होकर वायरस को शरीर में प्रवेश ही नहीं करने देता।
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खतरनाक वायरस ‘निपाह’ तेजी से पूरे देश में फैल रहा है।
अभी इसका कोई इलाज नहीं है।
मरीज 24 घंटे के अंदर ‘कोमा’ में चला जाता है। 
यह बीमारी संक्रमित सुअरों और चमगादड़ों द्वारा फैल रही हैं।
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लक्षण - 1. बुखार 2. सिरदर्द 3. दिमागी संदेह (भ्रम) 4. उल्टियां 5. मांसपेशियों में दर्द
6. निमोनिया के लक्षण 7. हल्की बेहोशी 8. दिमागी सूजन।
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निम्न से बचाव रखें -
1 - सुअरों से दूर रहें।

2 - ऐसे फल न खाएं, जिन्हें पक्षियों ने काटा हो।
फलों को सावधानी से खरीदें, बाजार में खुले में बिकने वाले जूस का सेवन बिलकुल न करें।

3 - खजूर न खाएं।

4 - चमगादड़ों के आवास के आसपास भी न जाएं।

5 - कोई भी यात्रा अत्यावश्यक हो तो ही करें, यथासंभव न करें।

6 - यह virus अत्यधिक संक्रामक है, इसीलिए बाहर का न कुछ खाएं, न पिएं।

7 - यह सुअरों से भी फैलता है, इसीलिए मांसाहार और ऐसी जगहों से बचें, जहाँ मांस का क्रय- विक्रय होता है।

8 - अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो, उसे तुरन्त इंटेंसिव केअर दें, और उसके इस्तेमाल की किसी भी वस्तु को अलग रखें।

- ध्यान रखें कि जैव-श्रृंखला प्रवेश करने वाला यह नवीनतम वायरस है।
इसकी वैक्सीन और दवाइयां अभी प्रायोगिक स्तर पर ही हैं।
Intensive Care के अलावा, इसका फिलहाल कोई इलाज नही।
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(सामग्री स्रोत - इंटरनेट)

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