Saturday, 28 July 2012

तब कितना डर गई थी वो


अगर स्वयम्बरा जी झूठ नहीं बोलती ( वैसे मैं महिलाओं का विश्वास नहीं करता कि - वे सच ही बोलती हैं ) तो इनसे ( ब्लाग से ) जुङना काफ़ी फ़ायदेमन्द है । क्योंकि इनको बहुत सारे कार्य आते हैं । जैसे - अध्यापन । गाना । नाटकों को निर्देशित करना । अभिनय करना । नृत्य सिखाना । नये नये व्यंजन बनाना । समाज के लिए कुछ अच्छा करना आदि आदि । देखा आपने । इसीलिये मैंने कहा था - स्वयम्बरा जी से जुङना फ़ायदेमन्द है । आईये ब्लागर परिचय श्रंखला के अंतर्गत इनका परिचय जानते हैं ।  
इनका शुभ नाम है - स्वयम्बरा । और इनकी Industry है - Education और 

इनकी Location है - ara, bihar, India स्वयम्बरा जी अपने Introduction में कहती हैं - कई पड़ाव आये । अनगिनत मोड़ों से गुज़रना हुआ । फिलहाल अध्ययन अध्यापन के साथ अपनी संस्था 'यवनिका' के कार्यों में व्यस्त हूँ । शब्द सृज़न मेरी जरुरत नहीं । हाँ ! कभी कभी एक बेचैनी सी होती है । अहसासों को मूर्त रूप देना जरुरी सा हो जाता है । ये ब्लॉग शायद  इसीलिये है । और इनका Interests है - परिवार के साथ वक़्त बिताना । लिखना पढना । गाना । नाटकों को निर्देशित करना । अभिनय करना ( हालाँकि अब ये नहीं हो पाता ) नृत्य सिखाना ( ट्रेंड इन कथक ) नये नये व्यंजन बनाना । समाज के लिए कुछ अच्छा करना । और इनकी
Favourite Films हैं - i m film buff.i just love good movies और इनका Favourite Music है - music is my passion.i am trend in classical लोग कहते हैं कि मैं अच्छा गाती हूँ । मजाक नहीं । सचमुच । और इनकी Favourite Books हैं - when i feel alone, i read books.they r my best friend. और इनके ब्लाग्स हैं - मैं और मेरी दुनिया । खबर गंगा । ब्लाग के नाम पर क्लिक करें । 

और ये है ।  इनके ब्लाग से एक रचना -
बड़की की अम्मा । निहार रही है दरवाज़े को । बड़की के बापू आयेंगे, खुशखबरी लायेंगे ।
कि बड़की पसंद आ गई है उन्हें । कि बड़की का व्याह तय हो गया है । कितना तो डर गई थी वो ।
वही उसी दिन । जब आए थे लड़के वाले । बडकी को चलाया । हंसाया बुलवाया । अंग अंग नापा परखा । 
हिलाया डुलाया । बात सीधे जा रही थी कि । 'लहसन' के दाग पर । अटक गयी लड़के की बहन ।
कितना तो समझाया बताया । कि ये वो नहीं । पर न मानी थी ।

उस जगह कसकर चिकोटी काटी, सुई चुभोई । बडकी के 'आंसू' निकले । तभी संतोष मिला उन्हें ।
आज उसके बापू गए है वहाँ । बात पटाने मोल भाव करने । जनमते ही तो दहेज़ जुटाना शुरू कर दिया था । पर क्या करे । कल जो हजारों में मिलते थे । आज लाखो खरचने पर भी नहीं मिलते ।
( लहसन - वैसा सफ़ेद दाग । जो जन्म से ही शरीर पर हो । इनमें सुई चुभोने पर दर्द का अहसास होता है )

आवश्यक सूचना

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