Wednesday, 26 February 2014

उडती चिडिया को पहचाने

खूबसूरत क्या कह दिया उनको । वो हमको छोड़कर शीशे के हो गए ।
तराशा नहीं था तो पत्थर थे । तराश दिया तो खुदा हो गए ।
**********
महा शिवरात्रि ।
गंग भंग 2 बहन है । रहत सदा शिव संग ।
मुर्दा तारण गंग है । जिन्दा तारण भंग ।
सबेरे फिर छनेगी भंग ।
पहले पहरे जो कोई छाने । वाको लम्बी दीख ।
उडती चिडिया को पहिचाने । गिरा सड़क के बीच । 
सबेरे फिर छनेगी भंग ।
दूजे पहरे जो कोई छाने । वाको लंबो कान ।
तवा कडाही बेच के भैया । धर लोटे पे ध्यान ।
सबेरे फिर छनेगी भंग ।
***********
सर झुकाओगे तो । पत्थर देवता हो जायेगा ।
इतना मत चाहो उसे । वो बेवफा हो जायेगा ।
*********
मैं जानता हूँ कि दुनियां तुझे बदल देगी ।
मैं मानता हूँ कि ऐसा नही बजाहिर तू ।
हंसी ख़ुशी से बिछड़ जा । अगर बिछड़ना है ।
यह हर मुकाम पे । क्या सोचता है आखिर तू ।
उसे कहना किताबों में रखे सूखे हुए कुछ फूल ।
उसके लौट आने का यकीं अब तक दिलाते हैं ।
********
लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं । खुद को मदहोश किये बैठा हूँ मैं ।
जान बाकी है वो भी ले लीजिये । दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं ।
*********
वक़्त ने हमें ना कोई मरहम दिया ।
जिसने भी पूछा हाल । एक नया जख्म दिया ।
ए शराबी तू पीता जा । तेरे पैमाने मे आज दरिया है ।
असर तेरे नशे का देखेंगे हम । तेरे पीने का क्या नज़रिया है ।
*********
कभी न कभी तो कोई टुकड़ा तेरे कदमोँ को छुयेगा ।
मैँ टूट के तेरी गली मेँ बिखरना चाहता हूँ ।
*********
आज सवेरे सवेरे अख़बार में । शोक समाचार के कालम में ।
अपनी फ़ोटो को देख हैरान था । आश्चर्य, क्या मैं मर गया हूँ ?
या किसी मसखरे का शिकार हो गया हूँ ?
रुको, थोड़ा सोचता हूँ । 
पिछली रात ही तो, मेरे सीने में भारी दर्द उठा था ।
और मैं पसीने से तरबतर हो गया था ।
फिर मुझे कुछ याद नही । मैं शायद गहरी नींद में सो गया था ।
और अब सुबह के 8 बज चुके हैं । बिना काफ़ी मेरी आँख नहीं खुलती ।
आज आफ़िस में फिर लेट होने वाला हूँ ।
चिढचिढे बास का फिर भाषण सुनने वाला हूँ ।
पर ये क्या ? क्यों मेरे घर मे भीड़ हो रही है ।
सारी भीड़ क्यूं रो रही है ? यहाँ बरामदे मे क्यूं हाहाकार मचा पड़ा है ।
मेरा शरीर सफ़ेद कपड़ों में लिपटा, ज़मीन पर क्यूं पड़ा है ?
मैं यहाँ हूँ - मैं चिल्लाता हूँ । कोई इधर देखो, सुनो, मैं यहाँ हूँ ।
न कोई ध्यान देता है । न कोई सुन पाता है ।
हर कोई कातर नज़र से बस मेरे शरीर को निहारता है ।
मैं अपने कमरे में वापस आ जाता हूँ ।
बाहर कोहराम मचा है । ये क्या मेरी बीबी रो रही है ।
बहुत दुखी और उजडी सी दिख रही है ।
मेरे बेटे को शायद नही कुछ एहसास है ।
वह केवल इसलिये रो रहा है कि, उसकी माँ बदहवास है ।
लगता है मैं मर गया हूँ ?
मैं कैसे मर सकता हूँ ? अपने बेटे से कहे बगैर ।
कि मैं उसे सच बहुत प्यार करता हूँ ।
मैं उसका बेहद ख़्याल रखता हूँ ।
मैं कैसे मर सकता हूँ ? अपनी बीबी से कहे बग़ैर ।
कि वह दूनिया की सबसे ख़ूबसूरत । और ख़्याल रखने वाली बीबी है ।
कैसे मर सकता हूँ ? माँ बाप से कहे बग़ैर । कि वे है तो ही मैं हूँ ।
कैसे मर सकता हूँ ? अपने दोस्तों से कहे बग़ैर कि ।
वे मेरे जीवन के सारे ग़लत फ़ैसलों पर भी मेरे साथ थे ।
पर मैं ही अधिकांशत: मैं वहाँ स्वयं नहीं पहुँच पाया था ।
जब उन्हें मेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत का वास्ता था ।
और वे ज़्यादा ज़रूरतमन्द थे ।
मैं 1 बन्दे को देख रहा हूँ ।
जो कोने में खड़ा आँसू छिपाने की कोशिश कर रहा है ।
कभी हम अति प्रिय अभिन्न मित्र थे ।
छोटी सी ग़लतफ़हमी ने हमें जुदा कर दिया ।
उन दिनों हम ईगो की पराकाष्ठा में थे ।
हमने कभी एक दूसरे को माफ़ नहीं किया ।
मैं उसके पास जाता हूँ । अपने दोंनों हाथों को आगे बढ़ाता हूँ ।
दोस्त ! मैं अपनी ग़लतियों के लिये क्षमा माँगता हूँ ।
हम आज भी अच्छे दोस्त हैं । मुझे माफ कर दो ।
ये क्या ? उसके तरफ़ से कोई रिसपांस ही नहीं मिलता ।
क्या वह आज भी उसी ईगो में है ?
मैं जबकि माफ़ी माँग रहा हूँ । फिर भी, उसका मिज़ाज नहीं मिलता ।
पर वह निरन्तर रोता जा रहा है ।
पर 1 सेकेण्ड । शायद वह मुझे और मेरे हाथ को नहीं देख पा रहा है । तो क्या मैं सच में मर गया हूँ ?
ज़मीन पर लेटे मैं अपने शरीर के पास बैठ जाता हूँ ।
क्या करूँ कैसे करुँ किसे पुकारूँ ? कुछ समझ नहीं पाता हूँ ?
दिल करता है कि मैं फूट फूट के रोऊँ ।
एकदम से हुई इस अनहोनी पर । कहाँ अपना सिर धुनूं और फोड़ूँ ।
हे भगवान ! मुझे कुछ समय और दो ।
मैं अपने बेटे बीबी माँ बाप दोस्तों को ।
बताना चाहता हू कि - मैं उनसे कितना प्यार करता हूँ ।
मेरी बीबी कमरे में आती है ।
तुम बहुत सुन्दर हो - मैं प्यार से बार बार दोहराता हूँ ।
वह मेरे शब्दों को नहीं सुन पाती है ।
सच ये है कि जीवन मे उसने ये शब्द ।
मेरे मुँह से कभी सुनें ही नहीं । हाँ मैंने कभी कहा भी तो नहीं ।
हे भगवान ! मुझे थोड़े दिन और दे । केवल 1 बार । क्योंकि ।
मैं अपने बेटे को अपने सीने से लगाना चाहता हूँ ।
अपनी माँ को मुस्कुराते देखना चाहता हूँ ।
अपने पिता को अपने ऊपर गर्व करवाना चाहता हूँ ।
केवल 1 बार बस 1 बार अपने दोस्तों को सारी कहना चाहता हूँ ।
मैं तो उन्हें कभी समय नहीं दे पाया । पर आज भी वे मेरे साथ हैं ।
इसका धन्यवाद देना चाहता हूँ ।
मैंने ऊपर देखा । मैं चिल्लाया - भगवान ! केवल 1 मौक़ा और ।
तुम सपने में चिल्ला रहे हो । उठो, क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा ?
मेरी बीबी ने मुझे थपथपाया । मेरा बेटा मेरी बग़ल में था ।
मेरी बीबी वही थी । वह मुझे सुन सकती थी । 
मैंने लम्बी साँस ली । उसे गले लगाया । और कहा -
तुम मेरा ख़याल रखने वाली । दुनिया की सबसे हसीन बीबी हो ।
मैं सच तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ।
उसकी आँखों की नमी और चेहरे पे आई प्यारी मुस्कान ।
इस मोहक मुस्कान को मैं ही समझ सकता था ।
भगवान ! इस दूसरे मौक़े के लिये धन्यवाद । मैंने मन ही मन दोहराया । कापी पेस्ट ।
Friends,,still it's not late..forget your egos,past.and express your love to others, be friendly keep smiling for ever, because we don't get second chance, don't regret after the things happen, always show your love to every one  ( thanks to each one of you,,for every thing )

आवश्यक सूचना

इस ब्लाग में जनहितार्थ बहुत सामग्री अन्य बेवपेज से भी प्रकाशित की गयी है, जो अक्सर फ़ेसबुक जैसी सोशल साइट पर साझा हुयी हो । अतः अक्सर मूल लेखक का नाम या लिंक कभी पता नहीं होता । ऐसे में किसी को कोई आपत्ति हो तो कृपया सूचित करें । उचित कार्यवाही कर दी जायेगी ।