Thursday, 29 September 2011

क्यूँ है तू यूँ तन्हा सी ? अंजू चौधरी

वास्तव में यदि पुरुष अपनी जगह सही हो । और स्त्री की भावनाओं को दिली तौर पर महसूस करने वाला हो । सम्मान देने वाला हो । उसके सुख दुख में । जीवन के उतार चङाव में । हर कदम पर सहभागी हो । तो कोई वजह नहीं । प्रत्येक स्त्री ऐसे पुरुष को पूर्ण समर्पित होती है । उसकी पूरी जिन्दगी का अरमान और लक्ष्य ही यही है । मेरा अनुभव तो यही कहता है । कोई भी स्त्री पुरुष की बराबरी नहीं करना चाहती । उसे टक्कर नहीं देना चाहती । उसके कन्धे से कन्धा मिलाकर खङी नहीं होना चाहती । ये सब परिस्थितियोंवश उत्पन्न हुयी मिथ्या बातें हैं । जिन्होंने पुरुष द्वारा स्त्री की कदम कदम पर उपेक्षा । और समर्पित स्त्री के प्रति भी कुटिलता पूर्ण बेबफ़ाई से आकार लिया है । वास्तव में न तो कोई स्त्री नौकरी करना चाहती है । न युद्ध लङना चाहती है । वह तो बस अपने फ़ूल से बच्चों और प्रेमी रूप पति के आगे समर्पित हुयी अपनी जीवन बगिया को सदा महकाये रखना चाहती है । यही उसकी सबसे बङी अभिलाषा । पूजा और धर्म कर्म है । अगर मेरे ये अनुभवजन्य ख्यालात सही है । तो शायद घर और समाज में स्त्री पुरुष का सबसे विकृत रूप इसी समय देखने में आ रहा है ।
खैर..ये मेरे निजी विचार थे । आईये मिलते हैं । करनाल हरियाणा की अनु जी से । और जानते हैं । उनके विचार ।
करनाल । हरियाणा । भारत में रह रहीं अनु जी उर्फ़ अंजू चौधरी house wife हैं । और इनके ब्लाग का बङा सुन्दर सा नाम - अपनों का साथ .. है । इस ब्लाग जगत में आकर मैंने दो बातें

स्पष्ट महसूस की कि परिपक्व लेखिकायें जिनकी किताबें बङे बङे प्रकाशनों से प्रकाशित होती हैं । उनकी तुलना में अपरिपक्व महिलायें अपने दिल की बात सीधे सरल शब्दों में स्पष्ट तरीके से बयान करती हैं । उसमें गोलमाल बात या शब्दों की बाजीगरी नहीं होती । और ये अति महत्वपूर्ण चीज कम से कम मुझे सिर्फ़ ब्लागों पर ही मिली । क्योंकि आमतौर पर प्रकाशक संपादक क्लिष्टता पूर्ण लेखन को ही प्रमुखता देते हैं । जिससे नारी के मधुर भावों की अभिव्यक्ति कहीं खो जाती है । और तब हम नारी के वास्तविक ह्रदय उदगार को नहीं जान पाते । और यही बात मैंने अनु जी के भावों में महसूस की । अनु जी अपने बारे में कहती हैं - दुनिया की इस भीड़ में । मैं अकेली सी । खुद को तलाशती सी । पर नहीं मिला कोई भी ऐसा । जो कहे मुझसे आकर कि क्यूँ है तू यूँ तन्हा सी ? रिश्तों की इस भीड़ में । मैं...मैं को तलाशती सी । अनु @ अंजू चौधरी । इनका ब्लाग - अपनों का साथ


और " कुछ दिल की बातें " शीर्षक से लिखी गजल में आप भी पढिये । अनु जी के दिल की बातें ।
कुछ दिल की बातें -
दिल की गहराइयों में इतना दर्द सा क्यूँ है । बेबसी बेताबी और बेचैनी का आलम क्यूँ है ।
अपना सा हर शख्स । परछाईं सा पराया क्यूँ है । जिसको भी माना अपना । वही इतना बेगाना सा क्यूँ है ।
इस दुनिया की रीत में इतनी । तपिश सी क्यूँ है । हर कोई अपने ही वास्ते । इस रिश्ते को जीता क्यूँ है ।
आज हर घर में रिश्तों का गुलशन सा । क्यूँ नहीं है । जो बाँध सके सबको गुलदस्ते में । वो माली क्यूँ नहीं है ।
अपने घर के आँगन में । माँगी थी धूप छाँव जीवन की । पर हर कोई बाहर की आँधियों से । लिपटा सा क्यूँ है ।
जिन राहों पर बिछने थे । गुलशन के फूल कलियाँ । उन राहों से चुन चुन के कांटे । मै हटा रही क्यूँ हूँ ।
मुश्किल से मैंने खुद को । मुश्किल से निकाला था । आगे की मुश्किलों से मै । दामन बचा रही सी क्यूँ हूँ ।
अनु जी का चित्र । गजल । और विवरण उनके ब्लाग - अपनों का साथ.. से साभार । ब्लाग पर जाने हेतु क्लिक करें ।

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