आईये ब्लागर परिचय की श्रंखला में आज आपका परिचय इश्क मुहब्बत से मुहब्बत करने वाले और मास्टर्स टेक टिप्स आमिर फ़्राम दुबई से कराते हैं ।
मुझे मोहब्बत से बहुत मोहब्बत है । और इश्क के नाम से भी इश्क है । अपने बारे में सिर्फ इतना ही बताना चाहूँगा कि मैं एक गरीबुल वतनी हूँ । यानी मैं भारतीय होकर भी अपने वतने अज़ीज़ भारत से दूर दुबई में हूँ । यहाँ एक कम्पनी में मैंनेजर की पोस्ट पर कार्यरत हूँ । लिखने का शौक बचपन ही से रहा है । जब सबने ये मशवरा दिया कि - अच्छा लिखते हो । तो शेयर क्यों नही करते ? .लेकिन अब भी मुझे नहीं लगता कि - मैं कोई अच्छा लेखक बन पाया हूँ । बस आदतन लिख लिया करता हूँ । इश्क के बारे में लिखने का जब फैसला लिया । पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चुका था । मैंने तो सिर्फ ये कोशिश की कि उर्दू भाषा में कुछ लिख कर उसे हिंदी में सब तक पहुंचाऊं । और मेरी भाषा उर्दू बोलने में और हिंदी लिखने में दोनों ही रही है । और मैं कमेंटस और टिप्पणी पर यकीन नही रखता । मेरा मानना है कि कोई कमेंटस करे । या ना करे । आप अच्छा लिखते रहें ।.लोग उसे पढ़ते हैं । यही उनका प्यार है । मै तो इसी पर खुश हूँ कि लोग मेरे कलम को पढ़ते हैं । और पसंद करते हैं । तारीफ़ नहीं करते । तो बुराई भी तो नही करते । और इनके ब्लाग है - मोहब्बत नामा । एक ब्लाग सबका । मास्टर्स टेक टिप्स । ब्लाग के नाम पर क्लिक करें ।
आखिर में ''आमिर दुबई '' का आप सबको मरहबा । पढ़ते रहिये - मोहब्बत नामा । आमिर दुबई और इनका ई मेल ऐड्रेस है - raja.dubai86@Gmail.com और इनकी Industry है - Construction और इनकी Location है - Dubai, UAE, United Arab Emirates और इनका Interests है - Internet, news, writing और इनकी Favourite Films हैं - Chak de India, DDLG, Tere naam और इनका Favourite Music है - Indian
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और ये है । इनकी एक रचना ।
दिले मजबूर में अब भी तुम्हारी याद है बाकी । वक्त बदला समा बदला मगर फ़रियाद है बाकी ।
मनाने को तो मैं सबको मनाकर के ही आया था । मगर जाने क्यों लगता है कोई नाराज है बाकी ।
बड़ी आतिश जदा हैं इस तरह राहें मोहब्बत की । जला है दिल जला है मन रहा क्या आज है बाकी ।
जुदाई में गमे फुरकत में मै सब कुछ भुला बैठा । कि बस यादें तुम्हारा गम यही कुछ पास है बाकी ।
जुदाई ने गमे फुरकत ने मुझको इस तरह बदला । कि मुझमे उस ज़माने की कोई ना बात है बाकी ।
मेरे महबूब की गलियां मुझे फिर क्यों बुलातीं हैं । मैं तो तन्हां मुसाफिर हूँ क्या मुझमें ख़ास है बाकी ।
ये सोचा था कि शायद अब कभी नज्में ना लिखूंगा । मगर मैं क्या करूं दिल में वही जजबात हैं बाकी ।
ये अपना हाले दिल ए काश '' आमिर '' उन तलक पहुँचे । उन्हें भी तो लगे मुझमे वफा की आस है बाकी ।
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शब्द अर्थ - 1 वक्त - समय । 2 समा - मौसम । 3 फ़रियाद - दुआ । 4 आतिश जदा - आग की । 5 फुरकत - इश्क में अकेलापन । 6 तन्हां - अकेला । 7 जजबात - भावनायें । 8 आस - उम्मीद ।
- सभी जानकारी साभार - आमिर दुबई के ब्लाग से साभार । ब्लाग पर जाने हेतु इसी नाम पर क्लिक करें ।