Wednesday, 2 March 2011

ब्लॉगरीय षटकर्म पर केवल राम जी का दृष्टिकोण । 6 Point for blogger

अगर आप ब्लॉगिंग के प्रति समर्पित हैं । तो ब्लॉगरीय षटकर्म से आपको जरुर वास्ता पड़ता होगा । इन बातों से हालाँकि जरुरी नहीं कि आप सभी सहमत हों । लेकिन ब्लॉगिंग के इस छोटे से सफर में मैंने जो अनुभव किया । उसके निष्कर्ष कुछ इस तरह है । और आदरणीय ललित शर्मा जी भी यही मानते हैं । तो चलो बात करते हैं । क्या है ब्लॉगरीय षटकर्म ?

1 लेखन - आपकी रचनात्मकता आपकी सोच का परिणाम है । और आपकी सोच आपके व्यक्तित्त्व का परिचय । हम जब भी कोई शब्द लिखते या बोलते हैं । तो वह शब्द हमारे व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है । लेखन का जहाँ तक सम्बन्ध है । कालजयी और सार्थक लेखन उसे ही कहा जाता है । जिसमें किसी व्यक्ति के उदात भाव अभिव्यक्त हुए हों । यानि उस व्यक्ति ने भावों को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अभिव्यक्त किया हो । यदि हम भारतीय वांग्मय पर दृष्टिपात करें । तो वेदों का महत्व आज भी उतना ही है । जितना कि उस युग में था । यही बात पुराण  । उपनिषद और परवर्ती ग्रंथों और रचनाकारों पर भी समान रूप से लागू होती है । आधुनिक युग में भी बहुत से विचारक । दार्शनिक और लेखक हुए हैं । लेकिन काल और समय की सीमा से परे वही लेखक हैं । जिनके भावों में उदात्ता और मानवीय भावों का समावेश है । और उनका लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शन का काम कर रहा है । करता रहेगा । उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी ।
ब्लॉग की जहाँ तक बात है । यह अपार संभावनाओं का द्वार है । हम तकनीकी रूप से बेशक उस काल के लोगों से बहुत आगे हैं । लेकिन मुझे लगता है कि चिंतन सोच और संवेदना के स्तर पर हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते । हमें अपने स्तर और लेखन के स्तर को बनाये रखने के लिए मौलिक चिंतन की तरफ ध्यान देना होगा । सकारात्मक सोच के साथ वैश्विक स्तर पर सोचना होगा । आज भी हमारे सामने मानवीय सोच के वह पहलू हैं । जिनके कारण हम एक दुसरे से जुदा हैं । कहीं भाषा के स्तर पर । तो कहीं जाति के स्तर पर । कहीं धर्म के स्तर पर । तो कहीं देशों की सीमा के स्तर पर । ऐसे और भी अनेक कारण हैं । जो आज हमें एक दुसरे से जुदा करते हैं । ऐसे हालत में हमें खुद को समाज के जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में देखना होगा । और जितना भी संभव हो सके । हम सार्थक विचारों से खुद की छवि के साथ साथ देश और समाज की छवि को भी सुधरने का प्रयास करें । यही हमारे लेखन और ब्लॉगिंग की सार्थकता के साथ साथ जीवन की सार्थकता भी है ।
2 पढना - हम किसी रचनाकार से चाहे किसी भी तरह से परिचित हैं । लेकिन उसकी सारी बातों से बढ़कर हमारे लिए उसका लेखन है । किसी लेखक के विचारों के जरिये हम उसके जीवन और सोच को विश्लेषित कर रहे होते हैं । हम किसी रचनाकार को तब रोचकता और जिज्ञासा से पढ़ते हैं । जब उसके विचार हमारे जीवन में उर्जा । सोच में सकारात्मकता । मन में पवित्रता । विचार में दृढ़ता लाते हों । क्यों हम बार बार गीता । रामायण । महाभारत आदि ग्रंथों को पढ़ते हैं ?? सिर्फ इसलिए कि वह हमें एक नयी जीवन दृष्टि देते हैं । हमारे जीवन में आशा का संचार करते हैं । हमारे भावों में पवित्रता लाते हैं ।

या संक्षिप्त रूप से कहूँ । तो वह हमें एक इंसान बनाते हैं । ब्लॉग में भी एक पाठक के तौर हमें इन संभावनाओं को तलाशना होगा । हमें सही मायने में पाठक बनना होगा । जब हम किसी का लेख पढ़ रहे होते हैं । खुद हम लेखक होने की बजाए एक पाठक होते हैं । हम बेशक कम पढ़ें । लेकिन जो पढ़ें । उसे मनन करते हुए पढ़ें । तभी हम एक सार्थक दिशा की तरफ बढ़ सकते हैं । वर्ना..आप समझदार हैं ? मैं तो नाचीज हूँ । क्या कह सकता हूँ ।
3 पढने के लिए लिंक देना - भामह ने अपने ग्रन्थ काव्यालंकार में काव्य प्रयोजन पर विचार करते हुए यश प्राप्ति को भी काव्य का एक प्रयोजन माना है । और यह मानवीय स्वभाव भी है कि उसके किसी कर्म का फल उसे अवश्य मिलना चाहिए । आज के तकनीकी युग में यह बात ज्यादा आसन हो गयी है । आज दृश्य और श्रव्य साधनों का विस्तार इतना हो चुका है कि पूरा विश्व हमें गाँव नजर आता है । और इस कारण हम किसी व्यक्ति से अपना संपर्क किसी भी तरीके से कर सकते हैं । उसे अपनी बात समझा सकते हैं । ब्लॉग जगत में भी यह बात शत प्रतिशत लागू होती है । और यह आवशयक भी है कि हम जो भी लिखें । किसी दुसरे को अवगत करवाएं । लेकिन उसी सीमा तक । जहाँ तक वह किसी की भावनाओं के साथ सही बैठता है । वर्ना ऐसा करना किसी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है ।
4 ब्लॉग लेखन के लिए प्रोत्साहित करना - यह एक नेक काम है कि हम किसी का उत्साहवर्धन कर उसे एक सकारात्मक काम के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं । आप किसी ब्लॉगर की पोस्ट को पढ़कर एक टिप्पणी कर देते हैं । तो लिखने वाले का मनोबल बढ़ जाता है । और वह पूरी शिद्दत से अपने काम के प्रति समर्पित हो जाता है । किसी नए ब्लॉगर को लेखन के लिए प्रोत्साहन देना हमारा नेक कार्य है । और मैं जानता हूँ कि यह काम आप बहुत बखूबी करते हो । तभी तो हिंदी में ब्लॉगरों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है । और इससे दो लाभ प्रत्यक्ष रूप से हो रहें हैं । एक तो हिंदी का प्रचार प्रसार हो रहा है । और दूसरा हम एक दुसरे की रचनात्मकता को समझते हुए व्यक्तिगत संबंधों में भी बंध रहे हैं । जो कि ब्लॉगिंग का एक सुखद सकारात्मक पहलू है । निश्चित रूप से यह लेखन के इतिहास में एक
नया अध्याय है ।

5 टिप्पणी करना - किसी रचना की महता पाठक के साथ समीक्षक पर निर्भर करती है । और हम जब किसी ब्लॉगर की पोस्ट पर टिप्पणी कर रहे होते हैं । तो हम उसकी रचना की एक तरह से समीक्षा भी कर रहे होते हैं । यानि पढने के बाद एक समीक्षक के रूप में अपनी प्रतिक्रिया भी दर्ज करवा रहे होते हैं । आपकी टिप्पणी लेखक का मार्गदर्शन करती है । उसकी कमियां बताती है । और उसे और अच्छा लिखने को प्रेरित करती है । लेकिन इसी के उलट की गयी टिप्पणी किसी लेखक को निराश भी कर सकती है । और उसके मनोबल को ठेस भी पहुंचा सकती है । इसलिए टिप्पणी करते वक़्त विवेक से काम लेने की आवश्यकता है ।
6 टिप्पणी करने के लिए आमंत्रित करना - यह भी ब्लॉग की एक ख़ास बात है । जब हम किसी के ब्लॉग पर जाते हैं । तो हमें लगता है कि इस पाठक या ब्लॉगर की उपस्थिति हमारे ब्लॉग पर आवश्यक है । तो हम उसे आमंत्रित करते हैं कि इस रचना पर आपकी टिप्पणी अपेक्षित है । या इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है । ऐसे में सामने वाले को भी बल मिलता है । और उत्सुकता बनी रहती है । किसी नए विषय को जानने की । कोई नया दृष्टिकोण प्राप्त करने की । यह भी एक तरीका है । अपनी सोच और कर्म को किसी व्यक्ति तक पहुँचाने का । और यह बहुत सहज है ।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ब्लॉगिंग का संसार विविधता भरा । रोचक । ज्ञानवर्धक तथा अनंत है । हमें अंतर्जाल के इस विशाल सागर में गोते लगाने चाहिए । लेकिन सब काम करते हुए संभल कर चलना चाहिए । इतना ही केवल ।
साभार श्री केवलराम जी के ब्लाग " चलते चलते"  से । आपका हार्दिक धन्यवाद । केवलराम जी

आवश्यक सूचना

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