Sunday, 12 July 2015

अथ नवनीत वर्गः

म्रक्षणं सरजं हैयङ्गवीनं नवनीतकम
नवनीतं हितं गव्यं वृष्यं वर्णबलाग्निकृत 1

संग्राहि वातपित्तासृक्क्षयार्शोऽदितकासहृत
तद्धितं बालके वृद्धे विशेषादमृतं शिशोः 2

नवनीतं महिष्यास्तु वातश्लेष्मकरं गुरु
दाहपित्तश्रमहरं मेदः शुक्रविवर्द्धनम 3

दुग्धोत्थं नवनीतं तु चक्षुष्यं रक्तपित्तनुत
वृष्यं बल्यमतिस्निग्धं मधुरं ग्राहि शीतलम 4

नवनीतं तु सद्यस्कं स्वादु ग्राहि हिमं लघु
मेध्यं किञ्चित्कषायाम्लमीषत्तक्रांश सङ्क्रमात 5

सक्षारकटुकाम्लत्वाच्छर्द्यर्शःकुष्ठकारकम
श्लेष्मलं गुरु मेदस्यं नवनीतं चिरन्तनम 6

इति श्रीमिश्रलटकन तनय श्रीमिश्रभाव विरचिते भावप्रकाशे
मिश्रप्रकरणे सप्तदशो नवनीतवर्गः समाप्तः 17

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